नई दिल्ली। भारत ने खनिज तेल से संपन्न खाड़ी देश कतर में तेल और गैस की खोज एवं विकास की नई परियोजनाओं में हिस्सेदारी के प्रति रूचि दिखाई है। साथ ही उसे भारत की नई तेल एवं गैस खोज एवं उत्खनन नीति के तहत भी इस क्षेत्र की परियोजनाओं में निवेश और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश कार्यक्रम में भाग लेने का निमंत्रण दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न समझौतों के साथ-साथ एक करार कतर इनवेस्टमेंट आथोरिटी के साथ हुआ जिसके तहत भारत के 40,000 करोड़ रुपए के निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष में कतर से निवेश की व्यवस्था हो सकती है।
दोनों देशों के बीच सरकारी बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत ने अपनी कंपनियों के लिए कतर में कतर पेट्रोलियम एवं अन्य कंपनियों के साथ पारस्परिक लाभ की संभावनाओं पर काम करने के मामले में रुचि दिखाए ताकि तेल और गैस के ग्यात भंडार क्षेत्रों का मिलकर विकास किया जा सके और नए तेल एवं गैस क्षेत्रों की खोज की जा सके। कतर एलएनजी और पीएनजी की आपूर्ति करने के मामले में सबसे बड़ा स्रोत है। भारत ने कतर को अपने यहां पेट्रोलियम ईंधन के सामरिक भंडार के निर्माण के दूसरे चरण की परियोजनाओं में भाग लेने का न्यौता दिया। इसके अलावा नेताओं ने वित्तीय सेवा क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया जिसमें बैंक, बीमा और पूंजी बाजार शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर के बीच बातचीत में दोनों पक्षों ने खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई जो दोनों देशों के हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में कंपनियों के लिए कारोबार में और आसानी के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने भारत में रेलवे और रक्षा और बीमा जैसे क्षेत्रों में विदेशी भागीदारी के नियमों को आसान बनाए जाने की भी जानकारी दी। उन्होंने भारत में 100 स्मार्ट शहरों के विकास, 50 शहरों में मेट्रो रेल परियोजना, 500 शहरों में आधुनिक कचरा प्रबंध प्रणाली, 2022 तक सभी को मकान जैसे लक्ष्यों के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने की योजना की भी जानकारी दी। दोनों देशों के बीच 2014-15 में 15.67 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। करत भारत के लिए कच्चे तेल का भी एक प्रमुख स्रोत है।
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