नई दिल्ली। आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक कराने को कानून मंत्रालय तैयारी कर रहा है। मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में केंद्र की मोदी सरकार बिल पेश कर सकती है। कानून मंत्रालय आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक कराने को लेकर कानून बनाने के लिए एक कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है, जो जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी के सामने पेश किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, कानून मंत्रालय ने वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने की अनुमति दे दी है। चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में इस तरह का प्रस्ताव भेजा था, जिसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मान लिया है। चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 नंबर वाले आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए उसे कानूनी अधिकार चाहिए।
बजट सत्र में पेश किया जा सकता है बिल
आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक कराने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने के लिए कानून मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है। बता दें कि, वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक करने के लिए आधार एक्ट और रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट में बदलाव करना होगा। बीते दिसंबर में मंत्रालय और चुनाव आयोग के बीच हुई चर्चा में डेटा लीक न हो और डेटा सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई ताकि किसी अवैध यूजर के हाथ डेटा नहीं लगे। फिलहाल, कानून मंत्रालय इस मसले से जुड़े सभी पहलू को गंभीरता से देख रहा है। जिसमें किसी भी व्यक्ति की जानकारी, डाटा की चोरी ना होने के खतरे को परखा जाएगा। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ये कैबिनेट नोट कब पेश किया जाएगा, इसकी अंतिम तिथि तय नहीं है, लेकिन आसार हैं कि 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में इसको लेकर बिल लाया जा सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कानून मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बार बजट सत्र में बिल पेश किया जा सकता है। चुनाव आयोग के आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने जिसमें नए वोटरों के साथ पुराने सभी वोटर्स को भी शामिल किया जाएगा ताकि चुनाव भूमिकाओं में इसका प्रयोग किया जा सके।
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक, कानून मंत्रालय रिप्रेंजटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 में कुछ बदलाव की तैयारी कर रहा है। चुनाव आयोग की ओर से मंत्रालय को ऐसा एक प्रस्ताव दिया गया था, जिससे वोटर आईडी कार्ड के जरिए वोटर की जानकारी मिल सके। इसी पर सरकार आगे कदम बढ़ा सकती है।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'यह सच है कि कानून मंत्रालय नें सितंबर में हमें वोटर डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा उपाय के बारे में जानकारी मांगी थी। हमने प्रस्ताव तैयार कर दिसंबर में मंत्रालय को भेजा था, लेकिन अभी तक मंत्रालय की ओर से कोई और सूचना नहीं मिली है।' उधर कानून मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रालय जल्द ही चुनाव कानून में बदलाव कर कर सकता है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके लिए एक्शन लिया जा चुका है।
38 करोड़ लोगों को वोटर आईडी आधार से लिंक
चुनाव आयोग अभी तक 38 करोड़ लोगों के वोटर आईडी कार्ड को आधार नंबर से लिंक कर चुका है। हालांकि 2015 में शुरू हुई इस कवायद पर चुनाव आयोग को कोर्ट के फैसले के बाद रोक लगानी पड़ी थी। देश भर में कुल 75 करोड़ लोगों के वोटर आईडी कार्ड बने हुए हैं। फरवरी 2015 में यह कवायद शुरू की गई थी, हालांकि उसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इसको रोक दिया गया था। तब सर्वोच्च न्यायालय ने आधार का इस्तेमाल केवल राशन, एलपीजी और केरोसिन लेने के मंजूर किया था।
बता दें कि अगस्त 2019 में चुनाव आयोग की ओर से कानून मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी गई थी, जिसमें अपील की गई थी कि जो नए वोटर आईडी कार्ड के लिए अप्लाई कर रहे हैं, उनके आधार को लिंक करने पर विचार किया जा सकता है। इसमें अभी तक के वोटरों को भी जोड़ा जा सकता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 90 करोड़ वोटर हैं। वहीं करीब इतने ही लोगों के पास आधार कार्ड भी है। इससे पहले सरकार की ओर से आधार कार्ड और पेन कार्ड को लिंक करने का आदेश जारी किया गया था। आधार-पैन को लिंक करने के लिए 31 मार्च 2020 तक की डेडलाइन दी गई है। (इनपुट-IANS/PTI)