फॉक्सवैगन की डीजल गाड़ियों में प्रदूषण संबंधी धोखाधड़ी पकड़े जाने के बाद अमेरिका में कंपनी पर 18 बिलियन का जुर्माना लगाया गया है। कंपनी ने खुद स्वीकार किया कि उसके 1.1 करोड़ वाहनों में एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है जिसके कारण इमिशन टेस्टिंग (प्रदूषण जांच) के दौरान सही नतीजे सामने नहीं आते हैं। इस मामले के बाद बीते बुधवार को कंपनी के सीईओ मार्टिन विंटरकॉर्न ने इस्तीफा भी दे दिया।
कैसे सामने आई धोखाधड़ी-
लॉस एंजिलिस और कैलीफोर्निया में फॉक्सवैगन की कुछ गाड़ियों पर टेस्ट किए गए। नतीजों को थोड़ा और परखने के लिए जब आगे कार्य किया गया तो अमेरिका की पर्यावरण नियामक इकाई ने कंपनी की डीजल गाड़ियों में बड़ी धोखाधड़ी पकड़ी। रिसर्चर्स यह जानकर हैरान रह गए फॉक्सवैगन की जेटा कार लैब के टेस्ट से 15 से 35 गुना ज्यादा नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कर रही है। साल 2014 में कैलीफॉर्निया के वायु प्रदूषण नियामक और ईपीए ने कंपनी को इस खामी को दूर करने का आदेश दिया था। कंपनी के मुताबिक इस खामी को दुरुस्त कर लिया गया। हालांकि जब ईपीए ने अपने स्तर पर जांच शुरु की तो उसने कंपनी को दोषी पाया। ईपीए ने 18 सितंबर 2015 को फॉक्सवैगन को नियमों के उल्लंघन का दोषी मानकर लेटर भेज दिया।
कंपनी ने कैसे की धोखाधड़ी-
जर्मन कार निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन ने अपनी गाड़ियों में एक ऐसा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जो पर्यावरण के अनुकूल था। यह पर्यावरण जांच के दौरान सही नतीजे नहीं देता था। हालांकि बाद में जब जांच की गई तो इस साफ्टवेयर में खामी पाई गई। कंपनी की जिन 11 मिलियन गाड़ियों में खामी पाई गई उसमें से सिर्फ 482,000 अमेरिका में बिकी हैं।
कौन कौन से कार मॉडल्स होंगे प्रभावित-
फॉक्सवैगन का बीटल मॉडल 2012-2015 के बीच बिका, जेटा मॉडल 2009 से 2015 के बीच बिका, पसाट मॉडल 2012 से 2015 के बीच बिका और गोल्फ मॉडल 2010 से 2015 के बीच बिका। ये सभी मॉडल्स इस धांधली के कारण प्रभावित होंगे।
इस धांधली से क्या हुआ नुकसान-
1. 22 सिंतबर से फॉक्सवैगन की कारों की बिक्री में 38 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
2. कंपनी पर 18 बिलियन डॉलर का जुर्माना ठोका गया।
3. कारों को सड़क पर लाने और उसके पीआर पर कुल 7.3 बिलियन डॉलर खर्च किए गए। इसका सीधा-सीधा नुकसान।