बर्लिन। जर्मनी की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। जर्मनी की सरकार ने देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन के खिलाफ कुछ नए आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। इन आरोपौं में कहा गया है कि कंपनी ने यूरोपीय बाजार में बेची गईं 98,000 पेट्रोल कारों में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में भी धोखाधड़ी की है। कंपनी यह आरोप पहले ही झेल रही है कि उसने दुनिया भर में बेची गयी अपनी 1.1 करोड़ डीजल कारों की उत्सर्जन जांच में सॉफ्टवेयर के जरिये धोखाधड़ी की है।
इससे पहले बुधवार को भारत ने भी फॉक्सवैगन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस टेस्टिंग एजेंसी एआरएआई द्वारा सड़क पर चलने वाले तीन मॉडल के वाहनों के उत्ससर्जन स्तर में प्रयोगशाला जांच के मुकाबले उल्लेखनीय अंतर पाए जाने के बाद दिया गया है। प्रयोगशाला जांच में कम उत्सर्जन दिखाया गया है, जबकि सड़क पर चलने वाले यह वाहन तय सीमा से अधिक उत्सर्जन कर रहे हैं। उत्सर्जन का यह फर्क कंपनी के डीजल मॉडल जेट्टा, ऑडी ए4 और वेंटो में पाया गया है।
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फॉक्सवैग्न उत्सर्जन घोटाला कांड में पहली बार उसकी पेट्रोल कारों में गड़बड़ी का आरोप सामने आया है। सितंबर में अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) ने अपनी जांच के आधार पर यह जानकारी दी थी कि जर्मनी की इस कंपनी ने अमेरिका में बेची गई फॉक्सवैगन की हजारों डीजल कारों में ऐसा यंत्र लगा रखा था, जो यह पहचान लेता है कि कार के उत्सर्जन की जांच की जा रही है और उस समय वह प्रदूषण के स्तर को कम कर देता है। इस वाहन उत्सर्जन धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद जर्मनी ने एक जांच आयोग का गठन किया है। जर्मनी के परिवहन मंत्री एलेंक्जंडर दोब्रिन्त ने संसद को बताया कि आयोग ने कंपनी की पेट्रोल कारों में उत्सर्जन और ईंधन की खपत की जांच करने का भी आदेश दिया है।