नई दिल्ली। ब्रिटिश टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन ने अपने भारतीय यूनिट का IPO लाने के लिए बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच(बोफा), कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग और यूबीएस को ज्वाइंट ग्लोबल को-ऑर्डीनेटर्स के तौर पर नियुक्त किया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही वोडाफोन ने अपने बहु प्रतीक्षित लिस्टिंग योजना की शुरुआत कर दी है। ऐसा अनुमान है कि इस आईपीओ के जरिये वोडाफोन 2 से 2.5 अरब डॉलर के बीच राशि जुटाएगी। यह आईपीओ 2010 में कोल इंडिया के 3.5 अरब डॉलर के आईपीओ के बाद का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
डॉयचे बैंक, एचएसबीसी और आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज को पहले ही ज्वाइंट बुक रनर के तौर पर नियुक्त किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि वोडाफोन अगले साल की शुरुआत में अपना आईपीओ लॉन्च कर सकता है। यह सौदा अंतरराष्ट्रीय बैंकों को ऐसे बाजार में अच्छा अवसर मुहैया करा रही है, जहां 1 अरब डॉलर की पूंजी जुटाना कोई आम बात नहीं है और जहां स्टॉक अंडरराइटिंग शुल्क भी दुनिया में सबसे कम है। वोडाफोन ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि उसने भारतीय सब्सिडियरी को शेयर बाजर में लिस्ट कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
भारती एयरटेल के बाद वोडाफोन देश की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर है, इसने वर्ष 2011 से ही भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट होने की तैयारी शुरू कर दी थी। भारत में कॉरपोरेट निवेशक के रूप में वोडाफोन तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है और उम्मीद की जा रही है वह देश के गला काट प्रतिस्पर्धा वाले टेलीकॉम मार्केट में अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए अतिरिक्त रेडियो स्पेक्ट्रम भी खरीद सकती है। घरेलू मोबाइल फोन ऑपरेटर्स 4जी मोबाइल ब्रॉडबैंड डाटा की संभावित बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारी निवेश कर रहे हैं। भारत में वोडाफोन ने वर्ष 2007 में कदम रखा था। इसके बाद कंपनी ने हचिसन एस्सार में अधिकांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया।
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