नई दिल्ली। ब्रिटिश टेलीकॉम दिग्गज वोडाफोन ने मंगलवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसपर हजारों करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के लिए दबाव बनाया जाता है तो भारत में उसका भविष्य संदेह में आ सकता है।
एक दशक तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बकाया भुगतान के लिए सरकार द्वारा कोई प्रावधान न करने पर वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी निक रीड ने कहा कि ग्रुप के भारतीय संयुक्त उपक्रम वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को भुगतान मांग में राहत देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत में स्थिति काफी समय से चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। यदि सरकार ने कोई राहत नहीं दी तो क्या वोडाफोन का भारत में रहना उचित होगा इस पर उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है।
अप्रैल-सितंबर छमाही में वोडाफोन के भारतीय कारोबार का परिचालन घाटा बढ़कन 69.2 करोड़ यूरो पर पहुंच गया जो एक साल पहले की समान तिमाही में 13.3 करोड़ यूरो था। कंपनी ने कहा कि छह माह में उसे 1.9 अरब यूरो का घाटा हुआ है। यह घाटा सुप्रीम कोर्ट द्वारा उद्योग के खिलाफ दिए गए फैसले की वजह से भी हुआ है। इस फैसले के बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई है।
अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस और अन्य नियामकीय शुल्कों की गणना पर चल रहे विवाद पर उद्योग के खिलाफ फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया पर भारी शुल्क की देनदारी बन गई है। कंपनी ने कहा कि वह वोडाफोन आइडिया के लिए सरकार से वित्तीय सहायता मांगने के लिए सक्रियता से बातचीत कर रही है।
टेलीकॉम लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के अलावा जुर्माना और ब्याज के साथ दूरसंचार उद्योग पर 1.4 लाख करोड़ रुपए की देनदारी बन गई है। वोडाफोन-आइडिया को इसका लगभग एक तिहाई भुगतान करना है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने भारत सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में ब्याज और जुर्माने से राहत देने की मांग की है। दूरसंचार उद्योग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका भी दायर की है।