नई दिल्ली। संकटग्रस्त वोडाफोन आइडिया ने मंगलवार को विलंबित स्पेक्ट्रम शुल्क के तहत दूरसंचार विभाग को 3,043 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। विलंबित स्पेक्ट्रम बकाया वह किस्त भुगतान है, जिसे टेलीकॉम कंपनियों को पूर्व की नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए करना होता है। टाटा ने भी सरकार को एजीआर बकाये का अतिरिक्त 2,000 करोड़ रुपए का भुगतान मंगलवार को किया है।
वोडाफोन आइडिया की तरफ से उठाया गया यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कंपनी वित्तीय दबाव में है और वह 53,000 करोड़ रुपए के एजीआर देनदारी का सामना कर रही है। वोडाफोन आइडिया ने अभी तक एजीआर देनदारी के तहत दूरसंचार विभाग को दो किस्तों में 3500 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने विलंबित स्पेक्ट्रम देनदारी के तहत मंगलवार को 3,043 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। यह भुगतान की अंतिम किस्त है, जिसे टेलीकॉम कंपनियों को विलंबित स्पेक्ट्रम देनदारी के तहत करना था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल स्पेक्ट्रम भुगतान की अवधि को दो साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
टाटा ने एजीआर बकाये के रूप में किया 2000 करोड़ रुपए का और भुगतान
टाटा समूह ने सरकार को दूरसंचार क्षेत्र के अपने कारोबार पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये के निपटान के तहत 2,000 करोड़ रुपए का एक अतिरिक्त भुगतान तदर्थ आधार पर किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सूत्र ने कहा कि टाटा समूह सरकार को पहले ही 2,197 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है। यह तदर्थ 2,000 करोड़ रुपए का भुगतान उसके अतिरिक्त है। दूरसंचार विभाग के आकलन के अनुसार टाटा समूह पर सांविधिक बकाए के करीब 14,000 करोड़ रुपए बनते हैं।