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AGR Dues: वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग को 1 हजार करोड़ रुपए का किया भुगतान, कारोबार को लेकर संकट बरकरार

वोडाफोन आइडिया ने एजीआर बकाये को लेकर दूरसंचार विभाग को एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

Written by: India TV Business Desk
Updated on: February 20, 2020 14:34 IST
Vodafone Idea, telecom dept, AGR dues- India TV Paisa

Vodafone Idea pays Rs 1,000 crore to telecom dept towards AGR dues: Source

नई दिल्ली। सूत्रों के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया ने एजीआर बकाये को लेकर दूरसंचार विभाग को एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी ने सोमवार को एजीआर बकाये को लेकर 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। कंपनी के ऊपर 53 हजार करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है। दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने बताया कि टाटा टेलीसर्विसेज को भी एक-दो दिन में पूरे बकाये का भुगतान करने का नोटिस भेजा गया है। टाटा टेलीसर्विसेज ने सोमवार को 2,197 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। इसके ऊपर 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है।

गौरतलब है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का 53,038 करोड़ रुपए का बकाया है, जिसमें 24,729 करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम का बकाया और अन्य 28,309 करोड़ रुपए लाइसेंस शुल्क शामिल है। एजीआर भुगतान मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी, टेलिकॉम कंनिपयां जल्द से जल्द एजीआर भुगतान का प्रयास कर रही हैं।   

बता दें कि एजीआर भुगतान मामले में देरी से सुप्रीम कोर्ट की फटकार और सरकार के समयसीमा में ढील ना देने के बाद भारती एयरटेल ने सोमवार को दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपए के सांविधिक बकाये का भुगतान कर दिया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह बाकी की राशि का भुगतान भी स्वआकलन के बाद कर देगी। 

भारत में वोडाफोन-आइडिया के कारोबार को लेकर संकट बरकरार!

आर्थिक संकट से गुजर रही टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया ने भले ही दूरसंचार विभाग को एजीआर का 53,038 करोड़ रुपए के बकाए पर 1 हजार करोड़ की देनदारी अदा कर दी हो लेकिन कंपनी के भारत में व्यापार को लेकर संकट के बादल अभी भी मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि अगर वोडाफोन आइडिया ने भारत से अपना कारोबार समेटा तो अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।

सरकार के टेलिकॉम विभाग के मुताबिक कंपनी पर 53,038 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है, जबकि कंपनी का कहना है कि उस पर 18 हजार से 23 हजार करोड़ रुपए तक का ही बकाया है। सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद अब चर्चा वोडाफोन आइडिया के ऑपरेशन बंद करने की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड कंपनी दिवालिया कानून के तहत आवेदन कर सकती है। बीते सप्ताह वोडाफोन आइडिया में 45 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने भी कहा था कि भारत में कारोबार की स्थिति गंभीर है। यदि कंपनी भारत में अपने ऑपरेशन को बंद करने का फैसला लेती है तो फिर उसके चौतरफा नुकसान होंगे।  

कंपनी के बंद होने पर पहले ही एनपीए के संकट से जूझ रहे बैंकों को एक और करारा झटका लग सकता है। वोडाफोन आइडिया पर भारतीय बैंकों का करीब 25,000 करोड़ रुपए का बकाया है। ऐसे में कंपनी डूबी तो बैंकों की यह रकम भी फंस जाएगी। 

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 1.2 खरब रुपए के कर्ज में डूबी कंपनी के बंद होने से रोजगार पर भी बड़ा संकट पैदा हो सकता है।  वोडाफोन आइडिया के फिलहाल भारत में प्रत्यक्ष तौर पर 13,500 कर्मचारी हैं। इसके अलावा वेंडर और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लोग भी हैं, जिनके रोजगार पर कंपनी के बंद होने से संकट होगा। पहले से ही रोजगार के मोर्चे पर सरकार की किरकिरी हो रही है।

जानिए क्या है एजीआर विवाद

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआप) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है। दूरसंचार विभाग कहना था कि एजीआर की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो। दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि एजीआर की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट नेटेलीकॉम विभाग के पक्ष को सही मानते हुए उसके समर्थन में फैसला दिया है।

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