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वोडाफोन आइडिया को अपने उपभोक्ता को 27.53 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश

न्याय निर्णय अधिकारी व प्रमुख सचिव आईटी विभाग आलोक गुप्ता ने छह सितंबर को इसका आदेश जारी किया। इस बारे में कंपनी के उपभोक्ता कृष्ण लाल नैण ने शिकायत दर्ज करवाई थी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 11, 2021 18:56 IST
वोडाफोन आइडिया को अपने उपभोक्ता को 27.53 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश- India TV Paisa
Photo:VI

वोडाफोन आइडिया को अपने उपभोक्ता को 27.53 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश

जयपुर: राजस्थान के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने निजी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को अपने एक उपभोक्ता को 27.53 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। इस ग्राहक के खाते से डुप्लिकेट सिम कार्ड के जरिये 68.50 लाख निकाल लिए गए थे। विभाग के अनुसार कंपनी ने दस्तावेजों का उचित सत्यापन किए बिना ही किसी दूसरे व्यक्ति को डुप्लिकेट सिम जारी कर दिया जिस कारण उक्त पीड़ित ग्राहक को नुकसान हुआ। 

न्याय निर्णय अधिकारी व प्रमुख सचिव आईटी विभाग आलोक गुप्ता ने छह सितंबर को इसका आदेश जारी किया। इस बारे में कंपनी के उपभोक्ता कृष्ण लाल नैण ने शिकायत दर्ज करवाई थी। कंपनी से शिकायतकर्ता को 27,53,183 रुपये का भुगतान एक महीने में करने को कहा गया है। शिकायत के अनुसार नैण के मोबाइल सिम ने 25 मई, 2017 को काम करना बंद कर दिया गया। 

उन्होंने कंपनी के हनुमानगढ़ स्थित स्टोर को इसकी सूचना दी और एक नया सिम कार्ड जारी कर दिया गया लेकिन इसे 31 मई को एक्टिवेट किया गया। लेकिन इसी दौरान अलवर में किसी भानुप्रताप को उसी नंबर का डुप्लिकेट सिम जारी कर दिया गया। वहीं सिम एक्टिव करने पर नैण को पता चला कि उसके डुप्लिकेट नंबर पर ओटीपी लेकर उसके खाते से 68.50 लाख रुपये स्थानांतरित कर दिए गए हैं। इस मामले में दो जून, 2017 को पुलिस थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई। 

इस बीच आरोपी ने 44 लाख रुपये परिवादी के खाते में वापस डलवा दिए लेकिन 24.50 लाख रुपये बाकी रह गए। मई, 2020 में नैण ने आईटी कानून 2000 के तहत शिकायत दर्ज करवाई और न्याय निर्णय अधिकारी से उन्हें कंपनी से 34.50 लाख रुपये दिलवाने की अपील की। इसमें 24.50 लाख रुपये की बाकी राशि व ब्याज शामिल है। अधिकारी ने कंपनी को आईटी कानून की धारा 43 व 43 ए के तहत दोषी माना है। इसमें कंपनी से कहा है कि वह परिवादी नैण को 27,53,183 लाख रुपये का भुगतान एक महीने में करे। अगर कंपनी इस अवधि में राशि का भुगतान नहीं कर पाती है तो उस पर 10 प्रतिशत की दर से चक्रवृद्धि ब्याज लगेगा।

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