नयी दिल्ली। देश के कॉरपोरेट इतिहास में सबसे ऊंचा तिमाही घाटा दिखाने वाली दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड का मानना है कि सरकार यदि दूरसंचार कंपनियों को बकाए के भुगतान मामले में किसी तरह की राहत देती है तो यह उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ नहीं होगा। ब्रोकरेज हाउस ने यह कहा है।
दूरसंचार कंपनियों की समायोजित सकल आय (एजीआर) की गणना करने के मामले में शीर्ष अदालत का फैसला सरकार के पक्ष में आने के बाद कंपनियों को अपने सांविधिक बकाया के भुगतान के लिये प्रावधान करने पर मजबूर होना पड़ा है। इस आदेश के बाद वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर 44,150 करोड़ रुपए की देनदारी है और कंपनी ने इसके लिए अपने जुलाई-सितंबर तिमाही के परिणाम में 25,680 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके चलते कंपनी ने दूसरी तिमाही में 50,921 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने कंपनी पर अपनी शेयर शोध रिपोर्ट में कहा, 'भले ही कंपनी राहत प्रावधानों के लिए सरकार से बातचीत कर रही है, लेकिन यह देखना होगा कि सरकार एजीआर के मामले में दूरसंचार क्षेत्र और वोडाफोन आइडिया को अलग से कितनी मदद मुहैया कराती है।' एसबीआई कैपिटल सिक्युरिटीज ने कहा कि वोडाफोन-आइडिया का तिमाही घाटा न्यायालय की देनदारी के लिए प्रावधान करने के चलते बढ़ा है। कंपनी ने लाइसेंस शुल्क के लिए 27,600 करोड़ रुपए और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के लिए 16,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
एसबीआई कैपिटल ने कहा कि वोडाफोन-आइडिया की मुख्य चिंता बैलेंस शीट और मुक्त नकदी प्रवाह हो लेकर है। क्रमिक कदमों से उसकी समस्या का समाधान होना मुश्किल लगता है। यह बाजार में कितनी कंपनियां रहेंगी उसका सवाल नहीं है बल्कि कौन सी कंपनी कितना निवेश करने में सक्षम है, वही बाजार का सही ढांचा खड़ा करेंगी।
सिटी रिसर्च ने कहा कि कंपनी पर एजीआर से जुड़ी कुल देनदारी करीब 44,150 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और दूसरी तिमाही में कंपनी ने विभिन्न तरह की लिखा-पढ़ी करने के बाद 25,700 करोड़ रुपए का प्रावधान इसके लिए किया है।