नई दिल्ली। इंफोसिस के पहले गैर-संस्थापक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विशाल सिक्का के इस्तीफे की वजह का खुलासा हो गया है। उन्होंने निदेशक मंडल और एन आर नारायणमूर्ति की अगुवाई में हाई-प्रोफाइल संस्थापकों के बीच कटुता बढ़ने की वजह से इस्तीफा दिया है।
सिक्का ने कहा कि उनपर गलत, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमलें किए गए। सीईओ और एमडी रहते हुए इन हमलों का सामना करना मुश्किल हो रहा था। इसलिए मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।नए प्रबंध निदेशक और सीईओ की नियुक्ति होने तक वह कार्यकारी उपाध्यक्ष रहेंगे। स्थाई तौर पर नियुक्ति 31 मार्च 2018 से पहले होनी है। सिक्का रणनीतिक मामलों पर ध्यान देंगे और सालाना एक डॉलर वेतन लेंगे।
देश की दूसरी सबसे बड़ी साफ्टवेयर सेवा निर्यातक ने एक बयान में कहा कि कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी यू बी प्रवीण राव को अंतरिम प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया है। जर्मनी की आईटी कंपनी सैप के पूर्व कार्यकारी 50 वर्षीय सिक्का को तीन साल पहले 10 अरब डॉलर की आय वाली इंफोसिस का प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया था।
संस्थापकों ने कार्यकारियों के वेतन तथा अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर कंपनी के खराब कामकाज का आरोप लगाया। इंफोसिस के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में सिक्का ने कहा, लगातार बाधा और व्यवधान उत्पन्न किए गए, जो बाद में बढ़ते हुए व्यक्तिगत और नकारात्मक हो गए। इसके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, पिछली कई तिमाहियों से झूठे, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमले किए गए। और ये आरोप कई स्वतंत्र जांचकर्ताओं द्वारा बार-बार झूठे साबित हुए।
उन्होंने कहा, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी रहे और बदतर होते गए। बहुत से उन लोगों ने इसे बढ़ाया जिनसे हम सभी इस बदलाव में सर्वाधिक समर्थन की उम्मीद करते हैं। मूर्ति तथा अन्य ने सिक्का को दिए गए उच्च वेतन को लेकर सवाल उठाए। साथ ही कुछ पूर्व कार्यकारियों को अलग होने से संबद्ध पैकेज को लेकर भी सवाल खड़े किए गए।सिक्का ने कहा कि इस प्रकार के शोरगुल के समाधान में उनके सैकड़ों घंटे बर्बाद हुए और इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया।
इंफोसिस के निदेशक मंडल ने कहा कि वह प्रबंधन टीम के सदस्यों पर निराधार व्यक्तिगत हमलों से काफी व्यथित है। कंपनी ने एक बयान में कहा, निदेशक मंडल उन आलोचकों की निंदा करता है जिन्होंने झूठे आरोपों को बढ़ावा देने का काम किया। इससे कर्मचारियों के मनोबल को नुकसान पहुंचा और कंपनी के मूल्यवान सीईओ को जाना पड़ा।