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माल्या की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश, बैंकों ने कोर्ट से कहा: जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं विजय

राज्यसभा की आचार समिति ने विजय माल्या को राज्यसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की। शरद यादव ने कहा, "उनकी सदस्यता खत्म करने का निर्णय लिया गया है।

Dharmender Chaudhary
Published : April 26, 2016 10:25 IST
माल्या की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश, जवाब देने के लिए मिला एक हफ्ते का समय
माल्या की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश, जवाब देने के लिए मिला एक हफ्ते का समय

नई दिल्ली। राज्यसभा की आचार समिति ने सोमवार को शराब उद्यमी विजय माल्या को राज्यसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की। माल्या बैंकों से लिए गए नौ हजार करोड़ रुपए कर्ज नहीं लौटाने के मामले में वांछित हैं। माल्या को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। विजय माल्या के मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा की आचार समिति की बैठक हुई। जनता दल (युनाइटेड) के नेता और इस समिति के सदस्य शरद यादव ने कहा, “उनकी सदस्यता खत्म करने का निर्णय लिया गया है। इस पर सभी सदस्यों की सहमति थी।”

बैंकों ने कोर्ट से कहा: जांच में सहयोग नहीं कर रहे माल्या

बैंकों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विजय माल्या उनके खिलाफ दर्ज मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और विदेशों में संपत्ति के बारे में प्रतिकूल रूख अपनाए हुए हैं। माल्या फिलहाल लंदन में हैं। शराब व्यवसायी माल्या के हलफनामे के जवाब में समूह ने अपने हलफनामे में कहा कि बकाये की वसूली के लिए माल्या और उनके परिवार द्वारा विदेशों में स्थित संपत्ति के बारे में खुलासा महत्वपूर्ण है। इस बारे में संपर्क किए जाने पर महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने कहा, हमने माल्या के हलफनामे के जवाब में हलफनामा दिया है जिसमें यह कहा गया है कि उन्होंने देश वापस आने की तारीख के बारे में कोई संकेत नहीं दिया है।

मामले की आज होगी सुनवाई

बैंक ने अपने हलफनामे कहा, हमें माल्या के इस दावे से कुछ भी लेना-देना नहीं है कि वह सरकार की उनके खिलाफ कार्रवाई के कारण व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि उसे सामग्री उपलब्ध कराने के बजाए माल्या तथा उनकी कंपनियां शीर्ष अदालत में सील बंद लिफाफे में जानकारी दे रही हैं। माल्या के हलफनामे पर बैंकों के समूह ने जवाबी हलफनामा दायर किया है। माल्या के हलफनामे में कहा गया है कि बैंकों के पास उनकी विदेशी में चल और अचल संपत्ति के बारे में सूचना प्राप्त करने को कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह 1988 से प्रवासी भारतीय हैं।

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