मुंबई। एक विशेष PMLA कोर्ट ने बुधवार को विजय माल्या व IDBI बैंक के अधिकारियों समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट लोन डिफॉल्ट मामले में जारी किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 14 जून को मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में चार्ज शीट दाखिल की थी, जिसमें माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी ए रघुनाथन समेत पूर्व बैंक अधिकारियों अग्रवाल, पूर्व डिप्टी एमडी ओवी बुंदेलू, पूर्व ईडी एसकेवी श्रीनिवासन और पूर्व एमडी बीके बत्रा सहित 9 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
ईडी का आरोप है कि बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को आईडीबीआई बैंक द्वारा 950 करोड़ रुपए का लोन नियमों की अनदेखी कर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति, नकारात्मक शुद्ध संपत्ति, नकारात्मक डेट टू इक्विटी अनुपात, निम्न क्रेडिट रेटिंग के बावजूद इसे लोन दिया गया। यह दिखाता है कि माल्या और बैंक अधिकारियों के बीच कोई सांठगांठ थी। ईडी ने कहा कि आईडीबीआई आकलन अध्ययन करने में विफल रही।
चार्ज शीट में इसे आपराधिक मामला बताया गया है, जिससे माल्या को भारत वापस लाने के लिए देश की स्थिति और मजबूत हो गई है। ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि यह लोन तीन हिस्सों में जारी किया गया। पहला शॉर्ट टर्म लोन 150 करोड़ रुपए का था। दूसरा लोन 200 करोड़ रुपए और अंतिम लोन 700 करोड़ रुपए का था।
पहला शॉर्ट टर्म लोन माल्या और आईडीबीआई बैंक के चेयरमैन योगेश अग्रवाल के बीच हुई बैठक के एक दिन बाद ही जारी किया गया, जो कि इस मामले में एक आरोपी हैं। ईडी ने कहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस की ब्रांड वैल्यू को गलत तरीके से बढ़ाचढ़ा कर बताया गया। ईडी का यह भी आरोप है कि लोन की राशि का इस्तेमाल सहयोगी कंपनियों को मदद करने में किया गया। फॉर्मूला 1 को 50 करोड़ रुपए दिए गए, इसके अलावा अन्य सहयोगी कंपनियों को भी 100 करोड़ रुपए दिए गए।