नई दिल्ली। भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यपर्ण के मामले की सुनवाई कर रही ब्रिटेन की न्यायाधीश ने कहा कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने में कुछ भारतीय बैंक नियमों को तोड़ रहे थे और यह बात बंद आंख से भी दिखती है।
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट ने पूरे मामले को खांचे जोड़ने वाली पहेली (जिग्सॉ पज़ल) की तरह बताया, जिसमें भारी मात्रा में सबूतों को आपस में जोड़कर तस्वीर बनानी होगी। उन्होंने कहा कि अब वह इसे कुछ महीने पहले की तुलना में ज्यादा स्पष्ट तौर पर देख पा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह साफ है कि बैंकों ने (कर्ज मंजूर करने में) अपने ही दिशा-निर्देशों की अवहेलना की। एम्मा ने भारतीय अधिकारियों को इस मामले में शामिल कुछ बैंक कर्मियों पर लगे आरोपों को समझाने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि यह बात माल्या के खिलाफ षड्यंत्र के आरोप की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
उल्लेखनीय है कि 62 वर्षीय माल्या के खिलाफ इस अदालत में सुनवाई चल रही है कि क्या उन्हें प्रत्यर्पित कर भारत भेजा जा सकता है या नहीं, ताकि उनके खिलाफ वहां की अदालत बैंकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई कर सके। उनके खिलाफ करीब 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है। हालांकि मामले में और अधिक स्पष्टीकरण की मांग किए जाने से इसका फैसला आने में देरी हो सकती है। माल्या दो अप्रैल तक जमानत पर बाहर हैं। हालांकि वह अदालत में पेश होने के लिए बाध्य नहीं थे, फिर भी वह अदालत में पेश हुए।