नई दिल्ली। वेदांता लिमिटेड ने भारत में पहली बार हुई सोने की खदान की नीलामी में जीत हासिल की है। यह सोने की खदान छत्तीसगढ़ में स्थित है। इस खदान के लिए देश की चार बड़ी कंपनियां दौड़ में थी। केंद्र सरकार ने गोल्ड माइनिंग सेक्टर को पहली बार प्राइवेट कंपनियों के लिए खोला है। इस कदम के पीछे सोने के महंगे आयात पर अंकुश लगाना है। पिछले साल भारत ने 36 अरब डॉलर मूल्य का सोना आयात किया था।
छत्तीसगढ़ में पहली बार चूना पत्थर खदानों के साथ ही सोना खदान की भी नीलामी हो रही है। केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रमुख खनिजों की खदानों की नीलामी के अधिकार दिए हैं। प्रदेश में सोने का एकमात्र भंडार बघमरा गोल्ड ब्लॉक बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में है। यहां अलग-अलग ग्रेड के 3896 किलोग्राम सोने का भंडान होने का अनुमान है। खान एवं खनिज अधिनियम के अंतर्गत सोने की खदान की नीलामी हो रही है। बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के 610 हेक्टेयर क्षेत्र में सोने की माइनिंग के लिए शुक्रवार को सुबह ग्यारह बजे ई-नीलामी शुरू हुई थी। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नीलामी प्रक्रिया में वेदांता, रूंगटा, कृष्णा ग्लोबल व सैनिक माइनिंग हिस्सा ले रही हैं। लंदन लिस्टिड वेदांता रिसोर्सेस पीएलसी की यूनिट वेदांता ने तीन अन्य कंपनियों को पछाड़कर यह नीलामी जीती है। शनिवार को राज्य की डायरेक्टोरेट ऑफ जियोलॉजी एंड माइनिंग की प्रमुख रीना कनगले ने बताया कि वेदांता ने खदान की सबसे ज्यादा बोली लगाकर इसे हासिल किया है।
वेदांता ने इस खदान के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई। इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस की न्यूनतम कीमत इस खदान के लिए 74,712 रुपए प्रति ट्राय औंस थी, वेदांता ने इस कीमत से 12.55 फीसदी अधिक बोली लगाई। उन्होंने कहा कि अगले दो सालों में इस खदान से तकरीबन 2700 किलो सोना निकल सकता है। एक ट्राय औंस में 31.10 ग्राम होता है। केंद्रीय खान सचिव बलविंदर कुमार सिंह के मुताबिक सरकार की योजना 2016 में कम से कम तीन सोने की खदान नीलाम करने की है।