नई दिल्ली। अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता ने अपनी सब्सिडियरी केयर्न इंडिया के स्वयं में विलय के सौदे के लिए शेयरधारकों को दिए जाने वाले ऑफर को और ज्यादा आकर्षक बना दिया है। दोनों कंपनियों के निदेशक मंडलों ने विलय सौदे की संशोधित और अंतिम शर्तों को अपनी मंजूरी दे दी है।
संशोधित शर्तों के मुताबिक केयर्न इंडिया के प्रत्येक शेयर के बदले शेयरधारकों को वेदांता का एक शेयर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 10 रुपए अंकित मूल्य के भुनाए जा सकने वाले एक शेयर के बदले अब शेयरधारकों को चार तरजीही शेयर भी दिए जाएंगे। इन शेयरों पर सालाना 7.5 फीसदी के लाभांश का भुगतान किया जाएगा। हालांकि 18 माह के बाद इन शेयरों को भुनाया जा सकता है। संशोधित सौदे के तहत केयर्न इंडिया के शेयर के एक माह के औसत मूल्य से 20 फीसदी प्रीमियम मिलेगा।
विलय के तहत, होल्डिंग कंपनी वेदांता पीएलसी की वेदांता में हिस्सेदारी मौजूदा 62.9 फीसदी से घटाकर 50.1 फीसदी की जाएगी। नई बनने वाली कंपनी में केयर्न इंडिया के अल्पसंख्यक शेयरधारकों की हिस्सेदारी 20.2 फीसदी और वेदांता के शेयरधारकों की हिस्सेदारी 29.7 फीसदी होगी। वेदांता के शेयरधारकों की बैठक 8 सितंबर और केयर्न इंडिया के शेयरधारकों की बैठक 12 सितंबर को होगी। वेदांता रिसोर्सेस के निवेशकों की बैठक सितंबर के अंत में बुलाई गई है। अग्रवाल ने पिछले साल जून में केयर्न इंडिया का अपनी पैतृक कंपनी वेदांता लि. में 2.3 अरब डॉलर के पूर्ण शेयर सौदे में विलय की घोषणा की थी। इससे देश की सबसे बड़ी विविधीकृत प्राकृतिक संसाधन कंपनी अस्तित्व में आएगी। लेकिन एलआईसी जैसे अल्पांश शेयरधारकों यह प्रस्ताव आकर्षक नहीं लगा, जिससे मामला अटक गया था।
केयर्न इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी और मुख्य वित्त अधिकारी सुधीर माथुर ने स्टॉक एक्सचेंज में कहा कि केयर्न इंडिया के शेयरधारकों को इस सौदे से विश्वस्तरीय, कम लागत वाले विविधीकृत परिसंपत्ति का फायदा मिलेगा, जिसमें विकास की काफी संभावनाएं हैं। वेदांत लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी टॉम अल्बानीस ने कहा कि वेदांत और केयर्न इंडिया का रणनीतिक विलय का प्रस्ताव काफी आकर्षक है। विविधीकृत संसाधनों वाली कंपनियां शेयरधारकों को ऐतिहासिक रूप से बेहतर रिटर्न देने में सक्षम होंगी।