नई दिल्ली। वेदांता रिर्सोसेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि कंपनी अगले दो-तीन साल में करीब 60,000 करोड़ रुपए का निवेश करने की योजना बना रही है। भारत आर्थिक सम्मेलन, 2019 में अग्रवाल ने यह भी कहा कि कंपनी ने अगले चार-पांच साल में कारोबार बढ़ाकर 30 से 40 अरब डॉलर और लाभ एक करोड़ डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि मैं भारत को लेकर प्रतिबद्ध हूं। मैं पिछले 10 साल में 35 अरब डॉलर लगा चुका हूं। मैंने हिंदुस्तान जिंक, बालको, सेसा गोवा और केयर्न समेत 13 कंपनियां खरीदी हैं और वे सभी अच्छा काम कर रही हैं। मुझे अगले 2-3 साल में 60,000 करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद है। हालांकि अग्रवाल ने यह नहीं बताया कि कंपनी कैसे इस कोष का उपयोग करेगी।
उन्होंने संकेत दिया कि कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने में यह राशि खर्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीयकृत कंपनियों पर नजर है। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि उसे विदेशियों पर नहीं बल्कि हम जैसों पर निर्भर होना चाहिए। वे (विदेशी निवेश) पैसा बनाना चाहती हैं। अगर सरकार हम जैसों पर भरोसा करती हैं, हम विदेशी निवेश भी लाएंगे।
अग्रवाल ने कहा कि कंपनी ग्लास और ऑप्टिकल फाइबर तथा केबल उद्योग पर ध्यान दे रही है। कंपनी की वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 2024-25 तक हम 30 से 40 अरब डॉलर आय और 1 करोड़ डॉलर लाभ की उम्मीद कर रहे हैं।
सरकार का काम कारोबार करना नहीं
वेदांता रिर्सोसेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार का व्यवसाय कारोबार करना नहीं है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम कर 50 प्रतिशत पर ला दे तो वे और अच्छे तरीके से चलेंगे। फिलहाल 14-15 बैंक और 40-45 कंपनियां हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी काफी ऊंची है।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार का व्यवसाय यह नहीं है कि वह व्यवसाय करे। अग्रवाल ने कहा कि आज सरकार की बैंक समेत कंपनियों में हिस्सेदारी औसतन 87 प्रतिशत है। अगर उसे घटाकर 50 प्रतिशत पर लाया जाता है, उन्हें 1,000 अरब डॉलर मिलेंगे और वे ज्यादा बड़ी होंगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार प्रत्येक कंपनियों में 5 से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के लिए छोड़ती है, वे अपेक्षाकृत बेहतर करेंगी।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘जब हम सरकार से हिस्सेदारी बिक्री की बात करते हैं, वे कहते हैं कि हम संपत्ति को देखेंगे। लेकिन मेरा मानना है कि सरकार को राजस्व को ध्यान में रखकर नहीं सोचना चाहिए और धन सृजित होने देना चाहिए।