नई दिल्ली। क्या आपको 90 के आखिरी और 2000 के शुरुआती दिन याद हैं, जब आप सड़क के किनारे आराम से पायरेटेड सॉफ्टवेयर की सीडी 100 रुपए या इससे भी कम दाम में खरीद लेते थे। विंडोज, ऑफिस या फोटोशॉप की पायरेटेड सॉफ्टवेयर सीडी की तुलना में वास्तविक सीडी की कीमत कई हजार रुपए में होती थी। अभी भी भारत में बहुत से लोग पायरेटेड सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इनका प्रतिशत काफी तेजी से घटकर 58% रह गया है, जो कि अभी भी बहुत ज्यादा है। 90 के दशक में उपयोग होने वाले सॉफ्टवेयर 90 फीसदी तक पायरेटेड होते थे।
बीएसए ग्लोबल सॉफ्टवेयर सर्वे के मुताबिक
भारत में पायरेटेड सॉफ्टवेयर का उपयोग वर्तमान में घटकर 58 फीसदी रह गया है। लेकिन फिर भी यह बहुत ज्यादा है। लेकिन यदि आज से 10-15 साल पहले की तुलना में इसमें काफी हद तक कमी आई है। पिछले पांच साल के दौरान, पायरेटेड सॉफ्टवेयर के उपयोग में 7 फीसदी तक की कमी आई है। 2009 में 65 फीसदी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का उपयोग हो रहा था।
सर्वे की कुछ प्रमुख बातें
- ट्रेंड में मामूली सुधार आया है। 2015 में पूरी दुनिया में पीसी में इंस्टॉल्ड 39 फीसदी सॉफ्टवेयर के पास उचित लाइसेंस नहीं था। बीएसए के 2013 के अध्ययन में यह संख्या 43 फीसदी थी।
- कुछ प्रमुख इंडस्ट्रीज, जहां डिजिटल एनवायरमेंट पर बहुत ज्यादा नियंत्रण होने की उम्मीद की जाती है, वहां गैर लाइसेंस वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है। सर्वे के मुताबिक पूरी दुनिया में बैंकिंग, इंश्योरेंस और सिक्यूरिटीज इंडस्ट्रीज में उपयोग होने वाले 25 फीसदी सॉफ्टवेयर पायरेटेड हैं।
- लीबिया और जिम्बावे ऐसे देश हैं जहां 90 फीसदी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है।
- अमेरिका में सबसे कम 17 फीसदी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- दुनियाभर में पायरेटेड सॉफ्टवेयर की कमर्शियल वैल्यू 52.24 अरब डॉलर है।
एशिया में जापान में सबसे कम पायरेसी
एशिया पेसीफिक की बात करें तो जापान और न्यूजीलैंड में सबसे कम 18 फीसदी पायरेसी होती है, जबकि बांग्लोदश में 86 फीसदी, पाकिस्तान में 84 फीसदी और इंडोनेशिया में 84 फीसदी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। ब्रिक देशों में चीन 70 फीसदी पायरेसी के साथ सबसे आगे और ब्राजील 47 फीसदी के साथ सबसे नीचे है। 2015 में पायरेटेड सॉफ्टवेयर की कमर्शियल वैल्यू भारत में 2.68 अरब डॉलर आंकी गई है, जो कि 2013 में 2.90 अरब डॉलर थी।
रिपोर्ट में यह साफ बताया गया है कि जो देश जितना ज्यादा विकसित है, वहां पायरेसी का इस्तेमाल उतना ही कम है। वहीं इसके उलटे कम विकसित देशों में पायरेसी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है।