नई दिल्ली। देश में स्थानीय कंपनियों के लिए इस्पात की मांग बढ़ाने तथा सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिये सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में घरेलू इस्पात के उपयोग को अनिवार्य किया जा सकता है।
इस्पात मंत्रालय इस महीने मंत्रिमंडल में विचार के लिए एक प्रस्ताव ला सकता है जिसमें सरकारी परियोजनाओं में देश में निर्मित इस्पात के मामले में तरजीह देने पर जोर होगा।
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मंत्रालय राष्ट्रीय इस्पात नीति (NSP) के लिए भी मंत्रिमंडल की मंजूरी ले सकता है। नीति में उत्पादन के साथ खपत को दोगुना करने पर जोर दिया गया है और कच्चे माल की अधिक लागत तथा सेक्टर के सामने वित्तीय समस्या जैसी चुनीतियों से पार पाने के लिए रणनीति का जिक्र है।
इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि,
हम घरेलू इस्पात उद्योग की ग्रोथ को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसीलिए हम चाहते हैं कि भारत निर्मित इस्पात को सरकार द्वारा फाइनेंस्ड प्रोजेक्ट्स में इसे तरजीह दी जाए। इस संदर्भ में कैबिनेट नोट मसौदा पर काम शुरू किया जा चुका है।
वह पुराने स्टील से उत्पाद बनाने वाले इस्पात उत्पादकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार की योजना इसे अनिवार्य करने या तरजीही बनाने की है, सिंह ने कहा कि इसे तरजीही आधार पर लिया जाना चाहिए। रेलवे जैसे जिन सरकारी मंत्रालयों और विभागों में इस्पात की खपत अधिक है, मैं चाहता हूं कि तरजीही आधार पर उन्हें भारत में निर्मित इस्पात का उपयोग करना चाहिए।
इस्पात मंत्री ने कहा कि,
प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस्पात की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रेलवे, शहरी आवास, पोत-परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग बड़े ग्राहक हैं।
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उन्होंने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 4 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी जिससे इस्पात की मांग बढ़ेगी। नई इस्पात नीति के बारे में सिंह ने कहा कि हमने मसौदा नीति जारी कर दी है। हमें संबंधित पक्षों से प्रतिक्रिया मिल चुकी है। इस महीने हम इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजेंगे। उन्होंने कहा कि इस नीति के जरिए सरकार की इस्पात उत्पादन क्षमता और प्रति व्यक्ति खपत मौजूदा स्तर से दोगुनी से अधिक करने की योजना है।