नयी दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के संगठन नास्कॉम का मानना है कि एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका के प्रस्तावित विधेयक में काफी कठिन शर्तें हैं। नास्कॉम ने आगाह किया कि प्रस्तावित अमेरिकी विधेयक ‘अमेरिकी नौकरियों का संरक्षण और वृद्धि’ में भारतीय आईटी कंपनियों तथा एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों दोनों के लिए काफी दुष्कर शर्तें और गैर जरूरी प्रतिबद्धताओं को शामिल किया गया है।
नास्कॉम ने कहा कि उसने वीजा से संबंधित मुद्दों को अमेरिका में सीनेटरों, सांसदों तथा प्रशासन के साथ उठाया है। प्रस्तावित कानून को लेकर आगामी सप्ताहों में भी वह लगातार वार्ता करेगा। विधेयक में एच-1बी वीजा का दुरुपयोग रोकने के लिए नए अंकुशों का प्रस्ताव है। इसमें वीजा पर निर्भर कंपनियों की परिभाषा को कड़ा किया गया है। साथ ही इसमें न्यूनतम वेतन तथा प्रतिभाओं की आवाजाही को लेकर नए अंकुश लगाए गए हैं।
जहां इस विधेयक में ऊंचे न्यूनतम वेतन का प्रस्ताव है, वहीं इसमें ग्राहकों पर यह जिम्मेदारी डाली गई है कि वे यह सत्यापित करेंगे कि वीजा धारक की वजह से पांच-छह साल तक किसी मौजूदा कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा। नास्कॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने कहा कि इस विधेयक में इतनी कठिन शर्तें कि लोगों के लिए न केवल इसे हासिल करना काफी कठिन होगा बल्कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए, इसमें भी काफी परेशानी आएगी। संसद की न्यायिक समिति ने इस विधेयक को पारित कर दिया है। अब इसे अमेरिकी सीनेट को भेजा जा रहा है। चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘हालांकि, हमें सही समय नहीं पता, लेकिन बताया गया है कि यह कानून 2018 के शुरू में ही प्रभावी हो जाएगा।’’