वैश्विक समुदाय में भारत की बढ़ी ताकत
NSG और MTCR पर भारत की सफलता वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती ताकत की नुमाइंदगी करती है। वॉशिंगटन में मोदी ने बराक ओबामा से भी बातचीत की। अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाक़ात के बाद दोनों नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान पीएम मोदी ने NSG और MTCR में समर्थन के लिए ओबामा को धन्यवाद दिया। पीएम ने कहा कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और ग़रीबी उन्मूलन के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे। साझा बयान के मुताबिक, दोनों देश साइबर सुरक्षा पर साथ काम करेंगे। बैठक में परमाणु सहयोग पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने भारत में छह अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों के निर्माण पर काम शुरू करने का भी फैसला किया। बातचीत के बाद आतंकवाद संबंधी सूचना की स्क्रीनिंग के आदान-प्रदान पर एक समझौते समेत छह करारों पर दस्तखत किए गए। आज पीएम अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे।
तस्वीरों में देखिए मोदी और ओबामा की मुलाकात
Modi With Obama
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जानिये क्या है न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप
- एनएसजी यानि कि न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप दुनिया के 48 देशों का समूह है, जो परमाणु संबंधी चीजों के व्यापार को संचालित करते है।
- इस संगठन का उद्देश्य परमाणु सामिग्री का इस्तेमाल बिजली बनाने जैसे शांतिपूर्ण कामों के लिए होना सुनिश्चित करना है।
- NSG यह भी सुनिश्चित करता है कि परमाणु सामिग्री सैन्य कार्यों में उपयोग न हो रही हो।
- NSG के 48 देशों में से एक देश भी अगर भारत को शामिल करने का विरोध करता है तो NSG में भारत को शामिल नहीं किया जाएगा।
- चीन भारत की इस मुहिम का विरोध कर रहा है जबकि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।
- स्विटज़रलैंड ने समर्थन की बात कही है, वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाल के चीन दौरे को भी NSG के मुद्दे पर चीन के रुख को नरम करने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है।
क्या है MTCR
- MTCR यानी मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम 34 देशों का समूह है।
- अमेरिका के समर्थन के बाद भारत अब इस ग्रुप का सदस्य बन जाएगा।
- यहां भारत के सदस्य बनने पर किसी को आपत्ति नहीं है।
- अब भारत अमेरिका से मानवरहित ड्रोन खरीद सकेगा और बह्मोस जैसी अपनी High-End मिसाइल को बेच सकेगा।
- MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके।
- भारत की सदस्यता को लेकर 34 सदस्यों वाले समूह की आपत्तियां हासिल करने का समय सोमवार को खत्म हो गया और किसी भी देश ने भारत की सदस्यता पर आपत्ति नहीं जताई।