वाशिंगटन। अमेरिकी रोजगार बाजार पर नजरें टिकाए भारतीय आईटी पेशेवरों को बड़ा झटका देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने सबसे लोकप्रिय एच-1बी वीजा के साथ ही अन्य विदेश कार्य वीजा जारी करने पर इस साल के अंत तक रोक लगा दी है। यह रोक चुनाव के इस महत्त्वपूर्ण वर्ष में अमेरिकी कामगारों के लिए नौकरियां सुरक्षित रखने के मकसद से लगाई गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जारी आधिकारिक घोषणा के मुताबिक नये प्रतिबंध आगामी 24 जून (बुधवार) से प्रभावी होंगे। इस आदेश का कई भारतीय आईटी पेशेवरों और कई अमेरिकी एवं भारतीय कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है जिन्हें अमेरिकी सरकार ने एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2021 के लिए एच-1बी वीजा जारी कर दिए थे। इन सभी को मुद्रांकन के लिए अमेरिकी कूटनीतिक मिशनों का रुख करने से पहले अब कम से कम मौजूदा वर्ष खत्म होने तक इंतजार करना पड़ेगा।
यह घोषणा बड़ी संख्या में उन भारतीय आईटी पेशेवरों को भी प्रभावित करेगी जो अपने एच-1बी वीजा के नवीनीकरण की प्रतीक्षा में थे। एच-1बी वीजा गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की अनुमति देता है खासकर विशेषज्ञता वाले उन पेशों में जिसमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है। प्रौद्योगिकी कपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर रहती हैं। अप्रैल में, ट्रंप ने अमेरिका में कानूनी रूप से पलायन करने का सोच रहे अमेरिका के बाहर के लोगों को निशाना बनाते हुए कुछ अपवादों के साथ आव्रजन संबंधी एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। वह आदेश जिसकी अवधि समाप्त होने वाली थी उसे 2020 के अंत तक बढ़ाया जाएगा और इसमें कुछ अतिथि कार्मिक वीजा भी शामिल किए जाएंगे।
नये शामिल किए गए वीजा में अंतरकंपनी स्थानांतरण के लिए एल-1 वीजा, विशेष पेशों में कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा के साथ ही पति-पत्नी के लिए एच-4 वीजा, अस्थायी गैर कृषि कर्मचारियों के लिए एच-2बी और आगंतुकों के आदान-प्रदान के लिए जे-1 वीजा हैं। तीन नवंबर को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में व्हाइट हाउस के लिए फिर से निर्वाचित होने की उम्मीद लगाए ट्रंप ने कहा कि यह कदम लाखों अमेरिकियों की मदद के लिए जरूरी है जिन्होंने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से नौकरियां गंवा दी हैं। आधिकारिक घोषणा जारी करते वक्त ट्रंप ने विभिन्न संगठनों, सांसदों और मानवाधिकार निकायों द्वारा आदेश के खिलाफ बढ़ते विरोध को नजरअंदाज किया है।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ट्रंप के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। पिचाई ने ट्वीट किया, 'आव्रजन ने अमेरिका की आर्थिक सफलता में बहुत योगदान दिया है और प्रौद्योगिकी में उसे वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाया है, साथ ही गूगल को ऐसी कंपनी बनाया है जो वह आज है।' पिचाई ने कहा, आज की घोषणा से निराश हूं- हम आव्रजकों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करते रहेंगे। एक अलग बयान में 'लीडरशिप कॉन्फ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स' की अध्यक्ष एवं सीईओ वनीता गुप्ता ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि नवीनतम यात्रा प्रतिबंध डोनाल्ड ट्रंप और स्टीफन मिलर द्वारा शुरू की गयी नस्ली और विदेशी विरोधी भावना का एक नया संस्करण है।
अपने इस कदम का बचाव करते हुए ट्रंप ने कहा, 'हमारे देश की आव्रजन प्रणाली के प्रशासन में, हमें विदेशी कर्मियों से अमेरिकी श्रम बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सचेत रहना चाहिए, खासकर उच्च घरेलू बेरोजगारी और श्रम के लिए दबी हुई मांग के वर्तमान के असाधारण माहौल को देखते हुए।' इस घोषणा में ट्रंप ने कहा कि इस साल फरवरी से लेकर मई तक अमेरिका में कुल बेरोजगारी दर लगभग चार गुना हो गई जो श्रम सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई बेहद खराब बेरोजगारी दरों में से एक है। इस आदेश में ट्रंप के पूर्व शासकीय आदेश की अवधि भी साल के अंत तक बढ़ाई गई है जिसमें कानूनी रूप से स्थायी निवास के लिए नये ग्रीन कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालिया घोषणा में उन विदेशी नागरिकों को छूट दी गई है जो खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के लिए जरूरी सेवा या अस्थायी श्रम मुहैया कराने के लिए अमेरिका में प्रवेश करना चाहते हैं।