नई दिल्ली। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के साफ संकेत दिए हैं। एक दशक बाद दिसबंर में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। बुधवार को यूएस फेड की 2 दिनों की बैठक खत्म हुई, फिलहाल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। फेड ने ब्याज दरों को 0-0.25 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बरकरार रखा है। अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के संकेत के चलते सोने-चांदी और क्रूड की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है।
सोना-चांदी और क्रूड में जोरदार गिरावट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना दो हफ्ते के निचले स्तर के बेहद करीब पहुंच गया है। कॉमैक्स पर सोना करीब 1.50 फीसदी की गिरावट के साथ 1160 डॉलर प्रति औंस के नीचे आ गया है। वहीं, घरेलू बाजार एमसीएक्स पर सोना एक फीसदी गिरकर 26,800 रुपए प्रति 10 ग्राम के नीचे कारोबार कर रहा है। दरें बढ़ने की संभावनाओं का असर क्रूड ऑयल की कीमतों पर भी पड़ा है। नायमैक्स पर डब्लूटीआई क्रूड 0.50 फीसदी की गिरावट के साथ 45.72 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमतें 0.50 फीसदी फिसलकर 49 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई है। Setback: 10वें महीने लगातार 24 फीसदी घटा निर्यात, आयात के मोर्चे पर मिली राहत
बुधवार देर रात खत्म हुई फेड की बैठक के बाद फेडरल रिजर्व की चेयरमैन जेनेट येलेन ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी को लेकर चिंताएं कम हो रही हैं। साथ ही अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों में भी सुधार आया है। हालांकि, ब्याज दरों में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी के फैसले से पहले जॉब ग्रोथ और महंगाई दर के आंकड़ों की समीक्षा की जाएगी। महंगाई दर अभी भी 2 फीसदी के लक्ष्य दूर है। लेकिन, हालात पहले से बेहतर है। येनेल ने दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दिए हैं।
अमेरिका में दरें बढ़ी, तो भारत पर क्या होगा असर
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने पर डॉलर मजबूत होगा और रुपए में कमजोरी आएगी। रुपए में गिरावट से इम्पोर्ट महंगा हो जाएगा। इससे महंगाई भड़क सकती है। वहीं दरों में बढ़ोत्तरी का सिर्फ नुकसान ही नहीं है, इसके फायदे भी हैं। देश की आईटी इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर की कंपनियों को ऑर्डर मिलेंगे। आईटी कंपनियों की कुल कमाई का 60 फीसदी हिस्सा अमेरिका और यूरोप से आता है। भारत की कुछ कारोबारी नीतियां अभी भी अमेरिका के लिए भेदभावपूर्ण : AFTI