नयी दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार (25 जून) को कहा कि वह प्रस्तावित व्यापार समझौते पर अमेरिका के व्यापार मंत्री रॉबर्ट लाइटहाइजर के साथ अगले कुछ दिनों में बातचीत करने वाले हैं। प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से बातचीत जारी है। दोनों देश आपसी मतभेदों को दूर कर द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने को लेकर समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। गोयल ने कहा कि वह अमेरिका के व्यापार मंत्री लाइटहाइजर और वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस के साथ नियमित संपर्क में हैं।
पीयूष गोयल एक वेबिनार में कहा, 'मुझे लगता है कि विलबर रॉस और मैं जुलाई के मध्य में दोनों देशों के व्यावसायियों के साथ बैठक करेंगे और मैं अगले कुछ दिनों में अपने अमेरिकी समकक्ष से भी बात करने जा रहा हूं, ताकि जिस व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है, उसके कुछ तत्काल पहलुओं को जल्दी से हल किया जा सके।' उन्होंने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों को व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने में मदद मिलेगी। भारत कुछ स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाये गये उच्च शुल्क से छूट, कुछ सामान्य घरेलू उत्पादों को सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत निर्यात लाभ फिर से शुरू करना और कृषि, वाहन, वाहनों के कल-पुर्जे व इंजनियरिंग जैसे क्षेत्रों से अपने उत्पादों के लिये अधिक से अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है।
दूसरी ओर अमेरिका अपने कृषि और विनिर्माण उत्पादों, डेयरी वस्तुओं, चिकित्सा उपकरणों, डेटा स्थानीयकरण, और कुछ सूचना व संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती तथा अधिक से अधिक बाजार पहुंच चाहता है। गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका को 1.3 अरब लोगों का बाजार और कुशल मानव शक्ति प्रदान करता है। गोयल ने कहा कि भारत कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में विश्व का समर्थन करने के लिये पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा परिधान) के निर्यात को खोलने पर विचार कर रहा है।
कई उद्योग संगठन जैसे परिधान निर्यात संवर्धन परिषद आदि पीपीई के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि घरेलू उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है और पहले से ही घरेलू मांग पूरी हो रही है। उल्लेखनीय है कि 2018-19 में, अमेरिका को भारत ने 52.4 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जबकि अमेरिका से आयात 35.5 अरब डॉलर था। अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 2017-18 के 21.3 अरब डॉलर से घटकर 2018-19 में 16.9 अरब डॉलर रह गया। भारत को 2018-19 में अमेरिका से 3.13 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ।