नई दिल्ली। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (फेड) ने आखिरकार दिसंबर 2015 के बाद दूसरी बार ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला ले लिया। बुधवार को फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़कर 0.50 से 0.75 फीसदी हो गई है। इस फैसले के बाद अमेरिकी डॉलर 2003 के उच्चतम स्तर 102 के पार पहुंच गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से अमेरिकी डॉलर और मजबूत होगा। इससे रुपए में गिरावट आएगी। लिहाजा भारत के लिए इंपोर्ट महंगा होने से महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ जाएगी।
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क्या बोली फेड चेयरमैन जेनेट येलेन
फेड चेयरपर्सन जेनेट येलेन ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के संकेत दिख रहे हैं, नई नौकरियों के मौके और बढ़ने की उम्मीद दिख रही है। फेड 2 फीसदी मंहगाई दर के लक्ष्य पर कायम है। ऐसे में आगे दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद और बढ़ गई है।
क्यों बढ़ाई ब्याज दरें
- डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पहली समीक्षा बैठक के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार होने का हवाला देते हुए अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई है।
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2017 में 3 बार दरें बढ़ने की उम्मीद
- नीति बनाने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने मुख्य फेडरल दरों में 0 . 5 से 0 . 75 फीसदी तक बढ़ोतरी का सर्वसम्मति से निर्णय किया लेकिन इसने कहा कि अर्थव्यवस्था धीरे धीरे आगे बढ़ेगी। साथ ही साल 2017 में दरों में 3 बार बढ़ोतरी के संकेत भी दिए हैं। 2018, 2019 में भी दरें बढ़ सकती हैं।
दिसंबर 2015 के बाद बढ़ी दरें
- अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने करीब 10 साल बाद दिसंबर 2015 में बॉन्ड खरीदारी प्रोग्राम को बंद कर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लिया था।
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जॉब डेटा में हो रहा है सुधार
- फेडरल बैंक ने अपनी प्रेस रीलीज में कहा है कि बीते कुछ माह में रोजगार सूचकांक में सुधार हुआ है। लोगों को फिर से नौकरियां मिलने लगी है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्याज दरों के बढ़ने से वर्ष 2017 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
भारत पर असर
- केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया ने कहा कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट और गहरा सकती है। केडिया के मुताबिक अगर ब्याज दरें बढ़ी तो एक डॉलर की कीमत 69 रुपए तक पहुंच सकती है।
- ऐसे में प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में आई मजबूती के कारण क्रूड और सोने की कीमतों में जो गिरावट आएगी उसका पूरा फायदा भारत को नहीं मिलेगा।
इलेक्ट्रोनिक आइटम पर पड़ेगी महंगाई की मार
- मुबंई के इलेक्ट्रोनिक प्रोडक्ट इंपोर्टर सुनिल शाह ने बताया कि कमजोर रुपए का सीधा असर इंपोर्ट होने वाले सभी प्रोडक्ट पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खासकर इलेक्ट्रोनिक आइटम जैसे कैमरा, मोबाइल और लैपटॉप की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा इनसे जुड़े पार्ट्स भी महंगे हो जाएंगे।