नई दिल्ली। भारत के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के द्वारा कम कीमत के वेंटिलेटर बनाने की कोशिशों पर अमेरिकी सरकार की भी नजर है। ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स ने एक ट्वीट के जरिए भारतीय इंजीनियरों की कोशिशों को समर्थन देते हुए कहा है कि अगर ये प्रयास सफल होता है तो कोरोना से लड़ाई में ये गेम चेंजर साबित हो सकता है। ब्यूरो अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
ब्यूरो ने लिखा है कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि एमआईटी और एक अमेरिकी कंपनी के साथ मिलकर काम करे रहे भारतीय इंजीनियर जल्द इस वेंटिलेटर को बनाए और इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो। एक अनुमान के मुताबिक भारतीय इंजीनियर के द्वारा बनाए जा रहे वेंटिलेटर की कीमत मौजूदा वेंटिलेटर की कीमत का 15% या उससे भी कम होगी।
अमेरिका फिलहाल कोरोना के संकट का सामना करने की कोशिशों में लगा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना की वजह से 1 से 2 लाख मौतों का अनुमान लगाया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ हफ्तों में अमेरिका को इलाज के लिए हजारों वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ सकती है। वेंटिलेटर के लिए अमेरिकी सरकार ने निजी क्षेत्र की 11 कंपनियों को वेंटिलेटर तैयार करने को कहा है। हालांकि वो दुनिया भर में विकल्प तलाश रहा है। माना जा रहा है कि भारतीय उत्पाद की कीमत कम होने की वजह से अमेरिका को उम्मीद है कि अगर भारत में प्रयोग सफल रहा तो वो मांग का एक हिस्सा खुद पूरा कर सकेगा और वेटिंलेटर की मांग पर दबाव कम हो जाएगा।