नई दिल्ली। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (फेड) ने ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। बुधवार रात को खत्म हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। अमेरिका में ब्याज दर बिना बदलाव के 0.75-1 फीसदी पर बरकरार है। वहीं, डिस्काउंट रेट बिना बदलाव के 1.50 फीसदी पर स्थिर है। हालांकि, एक्सपर्ट्स जून में दरें बढ़ने की उम्मीद लगा रहे है। इसीलिए अमेरिकी शेयर बाजार में बैंकों के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। फेड के फैसले के बाद अमेरिकी बाजार सपाट बंद हुए हैं।
क्यों नहीं बढ़ाई दरें
ब्रोकरेज हाउस नोमुरा के चीफ इकोनॉमिस्ट लूइस एलेकजेंडर ने अपने नोट में कहा है कि मार्च महीने में आए कमजोर आर्थिक आंकड़ों के चलते ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। साथ ही, अमेरिकी GDP ग्रोथ के आंकड़े भी अनुमान से कम रहे थे। यह भी पढ़े: NPA से निपटने के लिए कैबिनेट ने दी बैंकिंग रेगूलेशन एक्ट में संशोधन को मंजूरी, लोन डिफॉल्टर्स पर गिरेगी गाज
जून में दरें बढ़ने की संभावना हुई तेज
दुनिया की बड़ी ब्रोकरेज फर्म और रिसर्च एजेंसी मूडीज के इकोनॉमिस्ट रयान स्वीट के मुताबिक फेडरल रिजर्व अपने धीरे-धीरे दरें बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। जून में होने वाली अगली बैठक में दरें बढ़ने की पूरी संभावना है। वहीं, फिच रेटिंग के चीफ इकोनॉमिस्ट ब्रेन काउल्टन का कहना है कि इस साल दो बार और दर बढ़ने की उम्मीद पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। फिलहाल विचार बदलने को लेकर पॉलिसी में कोई भी बड़ा बात नहीं की गई है। यह भी पढ़े: सरकार ने दी नेशनल स्टील पॉलिसी-2017 को मंजूरी, सरकारी प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल होगा इंडिया-मेड स्टील
इससे पहले 16 मार्च की पॉलिसी में बढ़ी थी दरें
मई बैठक से पहले अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (फेड) ने 16 मार्च को खत्म हुई बैठक में 0.25 फीसदी दरें बढ़ाने का फैसला लिया था। आपको बता दें कि मार्च में दिसंबर 2016 के बाद अमेरिकी में ब्याज दरें बढ़ी थी।
2017 में 2 बार और दरें बढ़ने की उम्मीद
नीति बनाने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने साल 2017 में दरों में इसके बाद दो बार और बढ़ोतरी के संकेत भी दिए हैं।
अगर अब बढ़ती है दरें तो भारत पर क्या होगा असर
हीलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा का कहना है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी से घरेलू बाजारों पर कोई खास असर नहीं होगा। साथ ही, ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ये भी संकेत होगा कि अमेरिका में इकोनॉमी बेहतर कर रही है, जो ग्लोबल बाजारों के लिए एक अच्छा संकेत है। समीर अरोड़ा का मानना है कि लंबी अवधि के लिहाज से प्राइवेट सेक्टर बैंक, एनबीएफसी, इंश्योरेंस और बेवरेजेज कंपनियों के शेयरों में पैसे लगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है। वहीं, समीर अरोड़ा का कहना है कि आईटी सेक्टर पर दबाव देखने को मिल सकता है।