नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष ने वित्त विधेयक 2017 में पांच संशोधनों करा कर सदन में सरकार को अपनी अपेक्षाकृत बड़ी ताकत का एक बार फिर एहसास कराया। सदन ने वित्त विधेयक को इन संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया है जहां इस पर फिर से विचार किया जाएगा। इन पांच संशोधनों में से तीन संशोधन कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा लाए गए जबकि दो संशोधन माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी द्वारा पेश किए गए।
विपक्ष के इन संशोधनों को सदन में बड़े अंतर के साथ स्वीकार कर लिया गया। इनमें मतों का अंतर 27 से 34 के बीच रहा। तृणमूल कांग्रेस के सदन में 10 सदस्य हैं, मतदान से पहले उसके सभी सदस्य सदन से उठकर चले गए। राज्य सभा में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बहुमत नहीं है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के 56 सदस्य हैं जबकि राजग के कुल मिलाकर 74 सदस्य हैं।
इससे पहले वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विभिन्न लाभ पाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाए जाने के सरकार के प्रयासों का मजबूती के साथ बचाव किया। जेटली ने कहा कि कर चोरी और धोखाधड़ी को रोकने के लिये यह जरूरी है। आधार पर उन्होंने कहा कि यह पिछली संप्रग सरकार की बड़ी पहल थी और राजग सरकार इसे आगे बढ़ा रही है।
जेटली ने कहा, इससे पहले हममें से कुछ को इसको लेकर शंकाएं थी आपके भी कुछ लोगों (कांग्रेस) को इसपर आशंकाएं थी। बाद में प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) के समक्ष इस पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया जिसमें आशंकाओं को दूर किया गया।
कांग्रेस के सदस्यों द्वारा बार बार यह सवाल पूछा गया कि सरकार आधार को अनिवार्य क्यों बना रही है। इसके जवाब में जेटली ने कहा कि इस तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाना चाहिये जबकि इसे लोगों के फायदे के लिये बनाया गया है।