नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार बिजली क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को लेकर गंभीर है और यही वजह है कि राज्य सरकार पिछले लगभग छह सालों के दौरान विभाग में हुए सभी कार्यों और परियोजनाओं का आडिट करा रही है। राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2019 के बीच बिजली विभाग के अंतर्गत हुए सभी कार्यों का आडिट कराने के पीछे उद्देश्य यह पता लगाना है कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ है।
शर्मा ने 'भाषा' से फोन पर बातचीत में कहा, 'हम बिजली विभाग के अंतर्गत वाराणसी, आगरा, मेरठ और लखनऊ समेत अन्य जगहों पर 2014 से 2019 के बीच हुए सभी कार्यों का तीसरे पक्ष (स्वतंत्र एजेंसी से) आडिट करा रहे हैं।' यह पूछे जाने पर कि कुल कितनी लागत की परियोजनाओं का ऑडिट कराया जा रहा है, उन्होंने कहा, 'ऊर्जा विभाग के तहत जो भी कार्य के लिये बजट आबंटित किये गये हैं, वे सभी इसके दायरे में आएंगे।'
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का 2018-19 में ऊर्जा विभाग का बजट 27,575 करोड़ रुपए रहा था। सस्ती बिजली से जुड़े एक सवाल के जवाब में शर्मा ने कहा, 'हम बिजली दरों को सस्ती रखने के लिये जहां एक तरफ नुकसान (एटी एंड सी) में कमी ला रहे हैं वहीं चोरी पर अंकुश लगाने के लिये कदम उठा रहे हैं। इसके अलावा हम सस्ती बिजली के लिये पीपीए (बिजली खरीद समझौता) कर रहे हैं। सिंगरौली में हमने 2.99 रुपये प्रति यूनिट पर पीपीए किया।'
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में बिजली दरों में 8 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसके तहत 500 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने पर घरेलू ग्राहकों को 7 रुपये यूनिट तक बिजली देनी पड़ रही है।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे शर्मा ने यह भी कहा, 'हम सभी सरकारी विभागों और विधायकों तथा सांसदों समेत जन प्रतिनिधियों के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने जा रहे हैं। अगले महीने 15 नवंबर से शुरू इस अभियान के पहले चरण में एक लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया है।' बिजली बिल के रूप में विभिन्न विभागों पर बकाया राशि बढ़ने के साथ यह कदम उठाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में ही पुलिस, सिंचाई समेत विभिन्न सरकारी विभागों एवं इकाइयों पर बिजली बिल का बकाया 13,500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में अभी लगभग 7 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं और 2022 तक पूरे प्रदेश में सभी ग्राहकों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य है।