नई दिल्ली। किसानों की मुश्किलें खत्म होने की बजाए बढ़ती जा रही है। 2014 में सूखे जैसी स्थिति की मार झेलने वाले किसानों को इस साल फरवरी-अप्रैल के दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते 100 लाख टन रबी फसलों का नुकसान हुआ। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक इनकी कीमत 20,000 करोड़ रुपए से भी अधिक है।
10 लाख टन गेहूं करना होगा आयात
सीएसई ने अपनी रिपोर्ट लिव्ड एनोमली में कहा कि रबी फसलों को हुए नुकसान की वजह से भारत को चालू वर्ष में 10 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ सकता है क्योंकि पिछले रबी सीजन में बेमौसम बारिश के चलते करीब 68.2 लाख टन अनाज क्षतिग्रस्त हो गया है। इस साल फरवरी-अप्रैल में 182.38 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसल (कुल रबी बुआई का 29.61 फीसदी) प्रभावित हुआ है। इसका 6-7 फीसदी गेहूं की फसल थी।
सीएसई के डिप्टी डायरेक्टर जनरल चन्द्र भूषण ने कहा कि हम फसल नुकसान को कुछ समय लगाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर मौद्रिक आंकड़ों में परिवर्तित करते हैं। इस साल के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो बागवानी नुकसान को छोड़कर 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें खाद्यान्न और तिलहन शामिल है।
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प्रमुख खाद्यान्न में 86.3 लाख टन की गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है, प्रमुख खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में गिरावट करीब 86.3 लाख टन थी, जिससे 15,777 करोड़ रुपए मूल्य के खाद्यान्न का नुकसान हुआ। वहीं तिलहन के उत्पादन में 14.1 लाख टन गिरावट से 4,676 करोड़ रुपए का अतिरिक्त नुकसान हुआ। कुल आर्थिक नुकसान करीब 20,453 करोड़ का रहा। सीएसई के अनुमानों के मुताबिक, गेहूं के बुआई रकबे का 40 फीसदी, दलहन और तिलहन के बुआई रकबे का 14 फीसदी और मोटे अनाजों के बुवाई रकबे का चार फीसदी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ।