वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के महीनों में आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर भारत का साथ दिया है। लेकिन, आर्थिक मोर्चे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां कई बार भारत के खिलाफ जाती दिखती हैं। ऐसी ही एक नीति के तहत ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस को जनरलाइज सिस्टम आफ प्रेफरेंस (GSP) कार्यक्रम के तहत लाभकारी विकासशील देश के रूप भारत और तुर्की को दी गई उपाधि को समाप्त करने के अपने इरादे से अवगत कराया। हालांकि, ट्रंप के इस फैसले की प्रतिक्रिया में भारत ने कहा है कि इससे उसके ऊपर कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा।
ट्रंप ने दलील दी कि भारत, अमेरिका को यह आश्वासन देने में विफल रहा है कि वह विभिन्न क्षेत्रों में अपने बाजारों को न्यायसंगत एवं उचित पहुंच प्रदान करेगा। अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैन्सी पैलोसी को लिखे एक पत्र में ट्रंप ने कहा कि भारत ने अमेरिका को ‘आश्वस्त नहीं किया’ कि वह भारत के बाजारों में ‘न्यायसंगत एवं उचित पहुंच प्रदान करेगा।’ ट्रंप ने पत्र में कहा, ‘मैं यह आकलन करना जारी रखूंगा कि भारत सरकार ‘जीएसपी’ पात्रता मानदंड के अनुसार, अपने बाजारों में समान एवं उचित पहुंच प्रदान करती है या नहीं।’ पत्र की एक प्रति मीडिया को भी जारी की गई है।
वहीं, ट्रंप के इस फैसले पर भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने कहा कि अमेरिका द्वारा GSP के तहत कुछ खास लाभ नहीं मिल रहे थे। वधावन ने कहा, ‘जनरलाइज सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस’ (GSP) के लाभार्थी की उपाधि वापस लेने से भारत के अमेरिका में निर्यात पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। जीएसपी के लाभ अपेक्षाकृत कम थे।’
क्या होता है GSP?
जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस यानी GSP अमेरिकी व्यापार कार्यक्रम है जिसके तहत अमेरिका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स के सामानों का आयात करता है। अमेरिका ने दुनिया के 129 देशों को यह सहूलियत दी है जहां से 4,800 उत्पादों का आयात होता है। अमेरिका ने ट्रेड ऐक्ट 1974 के तहत एक जनवरी 1976 को GSP का गठन किया था।