वॉशिंगटन। अमेरिका ने देश में तेल निर्यात पर पिछले 40 साल से चल रहे निर्यात प्रतिबंध को शनिवार को खत्म कर दिया है। इससे ऊर्जा की कमी से जूझ रहे भारत जैसे देशों को तेल आयात का एक और विकल्प मिल गया है। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शनिवार को ओम्नीबस कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे अब भारतीय आईटी कंपनियों को एच1-बी व एल1 वीजा के लिए दोगुनी फीस का भुगतान करना होगा।
राष्ट्रपति ओबामा ने 1,800 अरब डॉलर व्यय वाले ओम्नीबस कानून और 30 सितंबर 2016 को समाप्त हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कर विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके बाद ही देश से तेल निर्यात पर लगा प्रतिबंध भी हट गया है। देश के उद्योग जगत ने इस पहल का स्वागत किया, जबकि पर्यावरण-समर्थक समूहों ने इसकी आलोचना की। ऊर्जा समिति की अध्यक्ष और सांसद लीजा मुर्कोव्स्की ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा घरेलू कच्चे तेल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाकर हम विश्व को संकेत दे रहे हैं कि हमारा देश वैश्विक ऊर्जा महाशक्ति बनने के लिए तैयार है। मुर्कोव्स्की ने कहा कि कच्चे तेल के निर्यात से हमारे और हमारे सहयोगी देशों के लिए रोजगार सृजन होगा, आर्थिक वृद्धि, नया राजस्व, संपन्नता आएगी और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी।
भारतीय आईटी कंपनियों को एच-1बी वीजा के लिए देना होगा 8,000 डॉलर से अधिक शुल्क
लगभग सभी भारतीय आईटी कंपनियों को अगले साल एक अप्रैल से अमेरिका से एच-1बी वीजा पाने के लिए 8,000 से 10,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। इससे इन कंपनियों के लिए वीजा शुल्क लेना काफी महंगा हो जाएगा। भारतीय आईटी कंपनियों पर न केवल 4,000 डॉलर का नया शुल्क लगाया गया है, बल्कि कई अन्य शुल्क अमेरिकी कांग्रेस ने एच-1बी वीजा आवेदन में जोड़ दिए हैं, जिससे वीजा शुल्क करीब दोगुना हो गया है। मूल रूप से एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क महज 325 डॉलर है। मार्च, 2005 से इसमें रोकथाम एवं पहचान शुल्क के तौर पर 500 डॉलर और जोड़ दिए गए। इसके अलावा, नियोक्ता प्रायोजन शुल्क भी लगाया गया जिसके तहत 25 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को प्रति वीजा आवेदन 1500 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है। जिन कंपनियों में 25 से कम कर्मचारी हैं उन्हें इसकी आधी यानी 750 डॉलर का शुल्क देना होता है। जिन आईटी कंपनियों में 50 से अधिक कर्मचारी हैं या जिन कंपनियों के 50 फीसदी से अधिक कर्मचारी एच1बी वीजा अथवा एल1 वीजा धारक है उन्हें प्रत्येक एच-1बी वीजा आवेदन के लिए 4,000 डॉलर अतिरिक्त भुगतान करना होगा। एल1वीजा के मामले में यह राशि 4,500 डॉलर होगी। इसके अलावा प्रीमियम प्रसंस्करण शुल्क 1,225 डॉलर भी देना होगा।