नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी प्रदान की है। इस मिशन का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में पाम तेल की घरेलू खेती को बढ़ावा देना और खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान इस नयी केंद्रीय योजना की घोषणा की थी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहा कि मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को ध्यान में रखते हुए एनएमईओ-ओपी को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है, जिसमें पाम तेल की खेती का रकबा और उत्पादकता बढ़ाना, महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि नई केंद्रीय योजना को 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है।
कैबिनेट ने रोपड़ सामग्री के लिए सहायता और पाम ऑयल की खेती के लिए निवेश, एफएफबी की कीमतों के लिए व्यवहारिकता अंतर जैसे घटकों के साथ मिशन को मंजूरी दी है ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य और सीड गार्डन/नर्सरी और पाम ऑयल मिलों की स्थापना के लिए उद्योग की सहायता की जा सके। कीमत के आश्वासन से किसानों में आत्मविश्वास पैदा होगा और पाम ऑयल खेती के अंतर्गत क्षेत्र में वृद्धि होगी। इससे किसानों की आय में वृद्धि भी होगी।
पाम ऑयल का क्षेत्रफल जो 1991-92 में 8585 हेक्टेयर था, 2020-21 में बढ़कर 3.70 लाख हेक्टेयर हो गया है। सरकार ने आंकलन किया है कि देश का कुल लगभग 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल और अकेले उत्तर पूर्व में लगभग 9.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पाम ऑयल की खेती के लिए उपयुक्त है।
पाम ऑयल मिशन को अगले पांच वर्षों 2021 से 2025-26 को लागू करने के लिए राज्य के 2196 करोड़ रुपये हिस्से से साथ केंद्र का हिस्सा 8844 करोड़ रुपये होगा। वर्तमान में कुल खाद्य तेल उत्पादन में पाम ऑयल का हिस्सा 7 प्रतिशत है। भारत सरकार के प्रयासों से वर्ष 2029-30 तक खाद्य तेलों के उत्पादन में पाम ऑयल की हिस्सेदारी बढ़कर 12 प्रतिशत तक की जाएगी।
पाम ऑयल की खेती के लिए कीमत आश्वासन से किसानों के मन में आत्मविश्वास पैदा होगा। देश में रोपड़ सामग्री की कमी से निपटने के लिए उत्तर-पूर्व एवं अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह में 15 हेक्टेयर के लिए बीज बगीचों को 80 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी। पुराने बगीचों का कायाकल्प करने के लिए पुराने बगीचों के पुनः रोपड़ के लिए प्रति पाम ऑयल के पौधे के लिए 250 रुपये प्रति पाम ऑयल पौधा की दर से विशेष सहायता दी जाएगी।
रोपड़ सामग्री, फल न आने की अवधि के दौरान आय में हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रथम चार वर्षों तक अंतर फसल (इंटरक्रोपिंग) के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाएगी। वर्ष 2025-26 में 11.20 लाख टन और 2029-30 में 28.11 लाख टन तक सीपीओ उत्पादन की अपेक्षा है।
भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पाम ऑयल का क्षेत्र और उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन ऐसी क्षमता वाले राज्यों आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, कर्नाटक, ओड़िसा, मिजोरम, नागालैंड, असम, अरुणांचल प्रदेश में कार्यान्वयनाधीन है।
राष्ट्रीय पाम ऑयल मिशन के फंडिंग का तरीका सामान्य राज्यों में भारत सरकार एवं राज्य सरकार के बीच 60:40 एवं उत्तर-पूर्व व पहाड़ी राज्यों के मामले में 90:10 का है। पाम ऑयल की खेती के क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 2013-14 के दौरान यह क्षेत्र 2.69 लाख हेक्टेयर था जो कि 2020-21 के दौरान बढ़कर 3.69 लाख हेक्टेयर हो गया है।
पाम ऑयल के ताजे गुच्छों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 2013-14 में जो 10.48 लाख मीट्रिक टन से 2020-21 में बढ़कर 16.89 मीट्रिक टन हो चुकी है। क्रूड पाम ऑयल के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 2013-14 में 1.80 मीट्रिक टन से बढ़कर 2020-21 के दौरान 2.72 लाख मीट्रिक टन हो गयी है।
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