नई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश में कारोबार सुगमता (Ease of Doing Business) बढ़ाने और कंपनियों की हल्की-फुल्की गलतियों में सजा के प्रावधानों को समाप्त करने या जुर्माना हल्का करने के उद्देश्य से बुधवार को कंपनी कानून में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। कॉरपोरेट जगत के भरोसे को और मजबूती देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी कानून, 2013 में 72 बदलावों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कंपनी कानून में बदलाव के बाद अब कारोबारियों को कम से कम 35 तरह के मामलो में जेल जाने की नौबत नहीं आएगी।
कारोबार को और आसान बनाने और उद्यमियों को कई प्रकार की आपराधिक कार्रवाई से बचाने व राहत देने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कंपनी कानून 2013 में 72 संशोधनों वाला विधेयक पेश किए जाने को मंजूरी दी। केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी संशोधन विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी। बैठक के बाद वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि इन संशोधन प्रस्तावों का मुख्य उद्येश्य कंपनी कानून में विभिन्न प्रावधानों को आपराधिक सजा वाले प्रावधान की श्रेणी से हटाना है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने कानून में 72 बदलावों के प्रस्ताव को मंजूरी दी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन बदलावों के जरिये कई प्रकार की गड़बड़ियों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी से हटाने की योजना है। इस बदलाव के बाद अब घरेलू कंपनियां विदेश में लिस्ट हो पाएंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि ये सभी संशोधन उद्यमियों को राहत देने के लिए किए जा रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कानून के तहत कुल 66 समझौते लायक गड़बड़ियों (कम्पाउड करने लायक गड़बड़ी) में से 23 की श्रेणी बदली गई है और समझौते लायक सात गलतियों को अपराध की सूची से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। आम तौर पर समझौता योग्य या 'कंम्पाउड करने लायक उल्लंघन ऐसे माने जाते हैं जहां गलती करने वाला समझौता कर के उसका समाधान करा सकता है।
सीतारमण ने कहा कि सरकार विभिन्न धाराओं में जेल के प्रावधान को हटाएगी और इसके साथ साथ कंपाउंड योग्य कुछ प्रावधानों में जुर्माना हल्का करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन कंपनियों पर सीएसआर (कार्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी) खर्च का दायित्व 50 लाख से कम है, उन्हें सीएसआर कमेटी गठित करने की जरूरत नहीं होगी। सीतारमण ने कहा कि इस पहल का मकसद कारोबार सुगमता को बढ़ाना है।
इस बिल में कंपनी कानून 2013 के 65 सेक्शन में संशोधन करके 72 प्रकार के बदलाव लाने हैं, जिससे उद्यमियों को कारोबार के दौरान परेशानी नहीं हो। सरकार उद्यमियों को डिफॉल्टर होने की स्थिति में चलने वाले मुकदमों से राहत देना चाहती है। कारोबारियों के 35 प्रकार के टेक्निकल डिफॉल्टर होने की स्थिति में आपराधिक प्रक्रिया से राहत देने के साथ कई मामलों में जेल जाने के प्रावधान को समाप्त करने का प्रस्ताव है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिन कंपनियों को सीएसआर के तहत 50 लाख या उससे कम राशि खर्च करना है उन्हें सीएसआर कमेटी के गठन की जरूरत नहीं होगी। अगर कोई कंपनी किसी वित्त वर्ष में अपनी आय की दो फीसद से अधिक राशि सीएसआर के तहत खर्च करती है तो वह अगले वर्ष दो फीसद से ऊपर की राशि को समायोजित कर सकती है। सीएसआर के दायरे में आने वाली कंपनियों को हर साल आय की दो फीसद राशि खर्च करना अनिवार्य है। सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्च स्तरीय समिति ने कंपनी कानून के तहत स्टार्टअप द्वारा नियमों के उल्लंघन को लेकर मौजूदा समझौता योग्य अपराधों में से आधे से अधिक को संज्ञेय अपराध की श्रेणी से बाहर लाने के साथ मौद्रिक जुर्माना कम करने का प्रस्ताव किया था।
भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों में होंगी सूचीबद्ध
केंद्रीय कैबिनेट के फैसले में भारती कंपनियों को विदेशी बाजार में सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। कंपनी कानून में नए प्रावधान के तहत यह संभव हो सकेगा। इस प्रावधान के तहत भारतीय बाजार में सूचीबद्ध एवं गैर सूचीबद्ध दोनों ही प्रकार की कंपनियों को विदेशी बाजार में जाने का मौका मिलेगा। सरकार का कहना है कि इस फैसले से भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजार में अपने कारोबार के विस्तार के साथ भारत में विदेशी पूंजी भी आएगी। (इनपुट-पीटीआई)