नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण के लिए सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था बनाने का फैसला किया है। इस व्यवस्था के तहत सरकारी बैंकों के एकीकरण के प्रस्ताव की समीक्षा की जाएगी। इसमें यह देखा जाएगा कि ऐसे बैंकों की संख्या कम रख कर भी उन्हें कैसे मजबूत बनाया जाए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैकल्पिक व्यवस्था पर फैसला करेंगे।
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मंत्रिमंडल ने इस व्यवस्था को सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी है। यह नयी व्यवस्था ही बैंकों के विलय एवं एकीकरण के प्रस्तावों पर सिफारिश करेगी। सरकार बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऋण की जरूरत को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना चाहती है। ऐसे बैंकों में झटके सहने की क्षमता होगी और वे खुद के बूते संसाधन जुटाने में सक्षम होंगे।
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जेटली स्पष्ट किया कि बैंकों के एकीकरण के किसी भी फैसले का एकमात्र आधार व्यावसायिक होगा। उन्होंने कहा कि सैद्धान्तिक मंजूरी के बाद बैंक कानून और सेबी की अनिवार्यता के मुताबिक कदम उठाएंगे। इस बारे में अंतिम योजना को केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श के बाद अधिसूचित करेगी।