नई दिल्ली। ब्रिटेन वासियों को अब शीतल पेय (सॉफ्ट ड्रिंक) खरीदने के लिए अधिक जेब ढीली करनी होगी, क्योंकि ब्रिटेन में ‘स्वीट टैक्स’ लागू हो चुका है। सरकार ने यह टैक्स मोटापा और चीनी से संबंधित अन्य बीमारियों को कम करने की योजना के तहत लगाया है। इस टैक्स से मिलने वाले धन का इस्तेमाल स्कूलों में बच्चों के लिए खेलकूद की सुविधाओं का विस्तार करने में किया जाएगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में प्रत्यक तीन में से एक बच्चा अपने अधिक वजन की वजह से प्राइमरी स्कूल छोड़ देता है। सरकार का अनुमान है कि इस टैक्स से हर साल चीनी खपत में 4.5 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी। शुक्रवार से यह नया टैक्स प्रभावी हो गया है। सरकार ने इस टैक्स की घोषणा मार्च 2016 में की थी।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री स्टीव ब्राइन ने कहा कि हमारे युवा औसतन प्रति वर्ष एक बाथटब के बराबर सॉफ्ट ड्रिंक का उपभोग करते हैं, इसकी वजह से देश में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री पर टैक्स लगाना एक बहुत ही अच्छा कदम है, इससे चीनी खपत में कमी लाने में मदद मिलेगी।
स्वीट टैक्स में दो प्रकार की दरें रखी गई हैं, जिसमें ज्यादा मिठास वाले ड्रिंक्स पर अधिक ऊंची दर से टैक्स लगाया जाएगा। इसके तहत प्रति लीटर 50 ग्राम तक चीनी वाले ड्रिंक पर 18 पेंस प्रति लीटर और 80 ग्राम या उससे अधिक चीनी के स्तर वाले ड्रिंक पर 24 पेंस प्रति लीटर के हिसाब से टैक्स देय होगा।
सॉफ्ट ड्रिंक्स उद्योग पर स्वीट टैक्स की घोषणा ब्रिटेन के पूर्व चांसलर जॉर्ज ऑस्ब्रोन ने 2016 में की थी। इसकी वसूली ब्रिटेन के शीतल पेय विनिर्माताओं से की जाएगी। वे चाहें तो इस टैक्स का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं। ब्रिटेन के वित्त मंत्री रॉबर्ट जेनरिक ने कहा कि स्वीट टैक्स बचपन में मोटापे की समस्या से लड़ने की हमारी योजना का एक हिस्सा है। आज से जिन शीतल पेयों में ज्यादा चीनी होगी उन्हें यह शुल्क देना होगा। उन्होंने कहा कि इस मद से जो भी कोष जुटाया जाएगा, उसका सीधा उपयोग स्कूलों में नई खेल सुविधाएं विकसित करने, स्वास्थ्य वर्धक नाश्ता क्लब बनाने और बच्चों में स्वास्थ्यप्रद आदतें विकसित करने में किया जाएगा। सरकार को इस मद से एक वर्ष में 24 करोड़ पौंड टैक्स मिलने की उम्मीद है।