नई दिल्ली। भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) को लंदन से प्रत्यर्पण कर भारत लाने के लिए अब ब्रिटेन के गृह मंत्रालय से भी मंजूरी मिल गई है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि ब्रिटेन के गृह मंत्री ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले ब्रिटेन की अदालत ने 25 फरवरी, 2021 को नीरव मोदी को धोखाधड़ी का आरोपी मानते हुए उसे भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी थी।
नीरव मोदी और उसका मामा मेहुल चोकसी सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के बाद देश छोड़कर भाग गए थे। पंजाब नेशनल बैंक में 14,500 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी मुख्य आरोपी हैं।
नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण करने के लिए इंग्लैंड के होम डिपार्टमेंट में फाइल क्लियर कर दी है। इंग्लैंड की कोर्ट ने सीबीआई के पक्ष में फैसला देते हुए बोला था कि प्रत्यर्पण को लेकर होम डिपार्टमेंट फैसला लेगा, आज होम डिपार्टमेंट ने भी फ़ाइल को क्लियर कर दिया है। अब नीरव मोदी के पास हाईकोर्ट में अपील करने का विकल्प मौजूद है ।
नीरव मोदी लंदन की जेल में है। 11 मई, 2020 को पीएनबी मामले में पांच दिनों के लिए नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई ब्रिटेन में शुरू हुई। 7 सितंबर 2020 को ब्रिटेन की अदालत को मुंबई की आर्थर रोड जेल से संबंधित वीडियो मुहैया कराया गया। 8 जनवरी 2021 को ब्रिटेन की अदालत ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में फैसला सुनाने के लिए 25 फरवरी की तारीख तय की। 25 फरवरी 2021 को ब्रिटेन की अदालत ने कहा कि नीरव मोदी को धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
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कैसे किया 14500 करोड़ का PNB घोटाला
पंजाब नेशनल बैंक से जुड़ा लगभग 13000 करोड़ रुपए का एक घोटाला सामने आया था, इस घटना को अंजाम देने में नीरव मोदी और उनके साथी व्यापारियों का हाथ है तो वहीं घोटाले के सामने आने से पीएनबी के शेयर में लगभग 8.5 प्रतिशत की गिरावट भी दर्ज हुई थी। बताया जाता है कि कुछ अमीर लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए ये फर्जी लेन देन किया गया था,जिसे अंजाम देने में पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारी भी शामिल थे इतना ही नहीं इस फर्जीवाड़े का असर दो सरकारी बैंकों और एक निजी बैंक पर भी पड़ा था। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार इस घोटाले के चलते यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक को भी काफी बड़ा नुकसान हुआ है।
कैसे दिया गया अंजाम
हांगकांग से जेवरातों की खरीद करने के लिए भारत के बिजनेसमैन नीरव मोदी और उनके साथियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) दिया गया था. पीएनबी द्वारा जरिए गए एलओयू के आधार पर ऊपर बताए गए बैंकों ने इन लोगों को क्रेडिट पर पैसे दिए थे. जिसके बाद इन लोगों ने इन पैसों से खरीददारी की थी।
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क्या है एलओयू (लैटर ऑफ अंडरटेकिंग)
एलओयू को एक तरह की गारंटी माना जाता है, इस पत्र को एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक को जारी किया था जाता है. जिसके आधार पर दूसरा बैंक बताए गए व्यक्ति को पैसा क्रेडिट के रूप में देते हैं. इस लेटर के अंतर्गत विदेशों में सामान खरीदने के लिए आवश्यक पैसे भरने की जिम्मेदारी बैंक की होती है. विदेशों से सामान मंगाने के लिए अक्सर व्यापारी ऐसा लैटर बैंक से मांगते हैं. जिससे उन्हें मुद्रा को बदलवाने की मुश्किल का सामना न करना पड़े. बैंक द्वारा एलओयू लैटर या पत्र देने का मतलब होता है कि बैंक उस ग्राहक के द्वारा लिए जाने वाले पैसे की जिम्मेदारी ले रहा है. ये लैटर सिर्फ उनको दिया जाता है जिनका व्यापार अच्छा खासा हो और बैंक उनसे ऋण की वसूली आसानी से कर सके। वहीं सामने आया ये घोटाला पीएनबी के मुंबई की एक क्षेत्रीय बैंक से किया गया है. बताया जा रहा है कि इस बैंक के कर्मचारियों ने फर्जी एलओयू जारी किया, जिसके बाद स्विफ्ट (SWIFT) नेटवर्क के जरिए इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक को सूचना भेजी की पंजाब नेशनल बैंक को कुछ पैसों की जरुरत है. जिसके बाद पीएनबी के लेनदेन करने वाले पासवर्ड को सत्यापित किया गया, पूरी जानकारी सत्यापित होने के बाद डायमंड आर यूएस एवं अन्य दो कम्पनयों को विदेशों में पैसे दिए गए।
10 कर्मचारियों को किया था बर्खास्त
इस मामले के सामने आते ही पंजाब नेशनल बैंक ने अपने 10 कर्मचारियों को नौकरी से तुरंत बर्खास्त कर दिया था।वहीं बताया जा रहा है कि पहले इन पैसों को सीबीएस (कोर बैंकिंग) प्रणाली द्वारा भेजा जाना था. लेकिन बाद में स्विफ्ट प्रणाली की मदद से रकम में वृद्धि करके ये घोटाला किया गया।
सीबीआई ने किया था केस दर्ज
सीबीआई ने पीएनबी के अधिकारीयों गोकुल नाथ शेट्टी एवं हनुमंत के साथ-साथ गीतांजलि ज्वैलरी कंपनी के एमडी, नीरव मोदी, एवं उनकी पत्नी पर 280 करोड़ की हेरा फेरी का केस दर्ज किया था. वहीं पीएनबी ने वित्त मंत्रालय के आदेश पर एक एफआईआर दर्ज करा दी थी। इसके साथ ही इस तरह के घोटालों की छानबीन करने के लिए सभी बैंकों को एक पत्र जारी किया था।.
कैसे आया ये घोटला सामने
8 फर्जी लेटर ऑफ क्रेडिट नीरव मोदी, मेहुल चोस्की एवं अन्य साथियों को दिए गए थे. जिसमें 3 पत्र एक्सिस एवं 5 पत्र इलाहाबाद बैंक को दिए गए. इन पत्रों के आधार पर इलाहाबाद बैंक एवं एक्सिस ने नीरव एवं साथियों को विदेश से सामान खरीदने में आर्थिक मदद की. बाद में जब इन बैंकों ने पैसों का भुगतान पीएनबी से मांगा गया तो पता चला की किसी इस मामले से जुडी कोई भी जानकारी बैंक के सिस्टम में मौजूद ही नहीं थी. जिसके बाद ये घोटाला सबके सामने आ गया।
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घोटाले की रकम
फिलहाल इस घोटाले की रकम करीबन 13000 करोड़ बताई जा रही है और हो सकता है कि ये रकम ओर बढ़ जाए. गौरतलब है कि पहले भी इस तरह के घोटाले भारत में हो चुके हैं. इससे पहले माल्या ने भारत के कई बैंकों को करोड़ों का चुना लगाया था. वहीं अब ये एक ओर बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसकी जांच अभी की जा रही है।
कैसे किया गलत इस्तेमाल
पीएनबी से एलओयू /एलसी बनवाकर विदेश में स्थित एक्सिस, यूनियन, एवं इलाहाबाद बैंक से भारी मात्रा में लोन लिया गया. वहीं अलग-अलग बैंको से लोन लेने की वजह से सही रकम का अंदाजा नहीं लगने दिया गया और नीरव मोदी ने अपनी क्षमता से कई गुना लोन ले लिया।