नई दिल्ली। टाटा स्टील ने अपने ब्रिटेन के कारोबार को बचने का फैसला किया है। इससे ब्रिटेन में हड़कंप मच गया है। टाटा के इस फैसले से हजारों लोगों की नौकरी दाव पर लगी है। मामले की गंभीरता समझते हुए ब्रिटेन के कारोबार मंत्री साजिद जावेद टाटा के चेयरमैन साइरस मिस्त्री से मिलने भारत आ रहे हैं। इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने आपातकालीन बैठक बुलाकर स्टील इंडस्ट्री को मदद करने की घोषणा की थी।
टाटा स्टील ने क्या और क्यूं लिया फैसला
टाटा स्टील ने लंबे समय से घाटा दे रही अपनी ब्रिटेन की यूनिट बेचने का फैसला किया है। यह फैसला कंपनी की मुंबई में हुई बोर्ड मीटिंग में लिया गया। कंपनी फिलहाल इस बिक्री की संभावनाओं की तलाश करेगी। कंपनी ने बिक्री का कारण निर्माण की कीमत, स्थानीय बाजार में कमजोरी और यूरोप में चीन की कंपनी से लगातार आयात बढ़ने को बताया है। ब्रिटेन की सबसे बड़ी स्टील मेकर कंपनी टाटा स्टील ने लगातार हो रहे घाटों से उबरने के लिए ब्रिटेन का पूरा कारोबार बेचने या विनिवेश करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि यूरोप में टाटा स्टील में करीब 15000 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। 2007 में टाटा ने यूरोप में कारोबार को फैलाने के लिए एंग्लो डच स्टील मेकर कोरस का अधिग्रहण किया था। तभी से कंपनी लगातार घाटे में जा रही थी।
ब्रिटिश सरकार करेगी संकटग्रस्त प्लांटों की मदद
ब्रिटेन ने अपनी सरकारी खरीद नीति में संशोधन किया है ताकि सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों को देश में बने इस्पात की खरीद के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। ब्रिटेन के कारोबार मंत्री साजिद जाविद ने कहा कि वह ब्रिटेन के इस्पात उद्योग का भविष्य मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस उद्योग के श्रमिकों की मदद का कोई रास्ता निकालेंगे। पाकिस्तान मूल के जाविद ने कहा, इन बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सामान की खरीद के नियम बदल कर हम ब्रिटेन के इस्पात उद्योग का भविष्य बचा रहे हैं। इससे ब्रिटेन के आपूर्तिकर्ताओं के लिए अवसर बढ़ेंगे और वे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिक कारगर ढंग से मुकाबला कर सकेंगे।