नयी दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार कानून के प्रावधानों का उल्लंघन के मामलों की जांच के लिए एक डेढ़ महीने में न्यायिक या निर्णय अधिकारी की नियुक्ति करेगा। एक सूत्र ने कहा कि इस तरह के उल्लंघन पर अब सिविल जुर्माना लगाया जाएगा।
संसद ने इससे पहले इसी महीने एक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है। इसके तहत लोग बैंक खाता खोलने या मोबाइल फोन कनेक्शन लेने के लिए आधार को पहचान के रूप में स्वैच्छिक रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे। आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) अधिनियम में कानून के प्रावधानों, नियमों और निर्देशों के उल्लंघन करने वाली इकाइयों पर एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पहले उल्लंघन के बाद इसके लगातार जारी रहने पर 10 लाख रुपये प्रतिदिन का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।
धारा 33ए के तहत इस तरह के मामलों में निर्णय और जुर्माना लगाने के लिए जांच को एक न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की जरूरत है। यह अधिकारी आधार जारी करने वाले प्राधिकरण यूआईडीएआई की शिकायत के आधार पर जांच करेगा। सूत्र ने कहा कि यूएआईडीआई को उम्मीद है कि अगले डेढ़ महीने में न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाएगी। सूत्र ने हालांकि स्पष्ट किया कि नया प्रावधान गैर अनुपालन के लंबित मामलों पर लागू नहीं होगा। यह प्रावधान सिर्फ नए मामलों पर लागू होगा। पिछली तारीख से इसे लागू नहीं किया जाएगा।