नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार नंबर जारी करने पर पिछले आठ सालों के दौरान 9,000 करोड़ से भी अधिक राशि खर्च की है। यह जानकारी आज संसद में दी गई। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि 2009-10 से लेकर 2017-18 (18 जुलाई 2017 तक) तक UIDAI का कुल खर्च 9,055.73 करोड़ रुपए रहा है।
इसमें 3,819.97 करोड़ रुपए पंजीकरण पर और 1,171.45 करोड़ रुपए लॉजिस्टिक (प्रिंटिंग और आधार पत्र का डिस्पैच) पर खर्च किए गए। ससंद में बताया गया कि 21 जुलाई 2017 तक कुल 116.09 करोड़ आधार नंबर जनरेट किए जा चुके हैं, जिसमें से तकरीबन 115.15 करोड़ को डिस्पैच किया जा चुका है।
एक अलग जवाब में चौधरी ने कहा कि लाभार्थी के डाटाबेस के साथ आधार को जोड़ना डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का एक महत्वपूर्ण कारक है। इससे लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित किया जा रहा है और उन तक लाभों को अधिक पारदर्शी और दक्ष तरीके से पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डीबीटी का विस्तार किया जा रहा है। इसके तहत 51 मंत्रालयों और विभागों की 314 योजनाओं को डीबीटी के तहत लाया जा चुका है। चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार की सभी पूर्ण या आंशिक वित्तीय योजनाओं के लिए राज्य सरकारों से आधार आधारित डीबीटी लागू करने का अनुरोध किया है।