नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार के पंजीकरण सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की रिपोर्ट के बीच गुरुवार को कहा है कि वह आधार जारी करने के लिए "कड़े पंजीकरण और अद्यतन प्रकिया" का पालन किया जाता है। प्राधिकरण ने विभिन्न उल्लंघनों के लिए 50,000 से अधिक ऑपरेटरों को काली सूची में डाला है। छेड़छाड़ से संबंधित दावों को "आधारहीन और गलत" करार देते हुए UIDAI ने कहा कि सॉफ्टवेयर जरूरी सुरक्षा उपायों से लैस है और किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए समय-समय पर जांच करता है।
UIDAI का यह बयान उन रिपोर्टों के बाद आया है जिनमें आधार पंजीकरण सॉफ्टवेयर में कथित छेड़छाड़ और उनसे प्राप्त डेटा की काला बाजारी की बातें सामने आई थी। इसमें कहा गया था कि यह किसी भी दस्तावेज के बिना आधार कार्ड जारी करने की सुविधा प्रदान करता है और ऑपरेटरों के प्रमाणीकरण करने को नजरअंदाज करता है।
आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI ने प्रक्रिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी "जीरो टॉलरेंस नीति" पर जोर दिया। साथ ही कहा कि यदि कोई ऑपरेटर निर्धारित प्रकिया का उल्लंघन करते या किसी फर्जीवाड़े या भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त पाया गया तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा और उस पर एक लाख रुपए प्रति मामले तक का वित्तीय जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्राधिकरण ने बयान में कहा है कि,
इस तरह के सभी मामले में पंजीकरण निरस्त हो जाता है और आधार नहीं बनता है। आज की तारीख तक 50,000 ऑपरेटरों को काली सूची में डाला गया है।
UIDAI ने कहा कि आधार प्रणाली 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या जारी करने से पहले आवेदन करने वाले की सभी बायोमेट्रिक पहचानों - दसों उंगुलियों की छाप और आंख की पुतली - का मिलान सभी आधार धारकों के बायोमेट्रिक पहचान से करता है। कोई भी ऑपरेटर आधार का निर्माण और उसका उन्नयन तक तक नहीं कर सकता है जब तक कि संबंधित व्यक्ति उसे अपने बॉयोमेट्रिक पहचान उपलब्ध नहीं कराता है।