बंग्लुरू। अमेरिका की ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग एप उबर ने कर्नाटक सरकार के नियमों पर सवाल खड़ा किया है। कर्नाटक सरकार की ओर से राइड उपलब्ध कराने वाली एप के लिए नए नियमों जारी किए गए हैं। उबर ने इन नियमों को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बताया है। उबर के मुताबिक नए नियम का व्यावहारिक तौर पर अनुपालन लगभग असंभव है।
इस बारे में कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंग रेड्डी को लिखे पत्र में कहा है कि कुछ अनिवार्य प्रावधान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मसलन कम से कम 100 टैक्सियों का बेड़ा रखना, प्रिटिंग रसीद देना और शुल्क सीमा तय करना आदि। ये कर्नाटक सरकारी की ओर से 1998 में शुरू की गई रेडियो टैक्सी सेवा के समान हैं।
उबर ने कहा कि अनिवार्य प्रावधानों की प्रकृति प्रतिगामी है और ये हमारे कारोबारी मॉडल से मेल नहीं खाती। उबर को भारत में ओला और मेरू जैसी कंपनियों से टक्कर मिल रही है। कंपनी ने मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है।
वहीं दूसरी ओर एप बेस्ड टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ओला और उबर पर जल्द ही सरकार ने नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार की ओर से नियुक्त एक उच्चस्तरीय समिति ने ओला और उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों के लिए किराये की ऊपरी सीमा तय किए जाने की सिफारिश की है।
केंद्र द्वारा यातायात और सड़क सुरक्षा नियमों का ढांचा तैयार करने के लिए बनाई गयी राज्य परिवहन मंत्रियों की एक समिति ने आज सिफारिश की, शहर टैक्सी परमिट योजना का उदारीकरण किया जाना चाहिए। एग्रीगेटर कंपनियों को परिवहन विभाग द्वारा तय किराये, ईंधन और सुरक्षा के अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए। किराये की उपरी सीमा परिवहन विभाग द्वारा तय की जाएगी।
यह भी पढ़ें-
भारत में अपना पेमेंट वॉलेट शुरू करने की तैयारी में उबर, लोन और कार के लिए टाटा से किया करार
सरकार तय कर सकती है ओला और उबर के किराये की ऊपरी सीमा