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उबर और ओला ने सरकारी अधिकारियों के लिए शुरू की सर्विस, सर्ज प्राइसिंग नहीं होगा लागू

एप आधारित टैक्सी सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी उबर और ओला ने विशेष दरों पर सरकारी विभागों को सेवा उपलब्ध कराना शुरू किया है।

Dharmender Chaudhary
Published : September 25, 2016 17:43 IST
उबर और ओला ने सरकारी अधिकारियों के लिए शुरू की सर्विस, सर्ज प्राइसिंग नहीं होगा लागू
उबर और ओला ने सरकारी अधिकारियों के लिए शुरू की सर्विस, सर्ज प्राइसिंग नहीं होगा लागू

नई दिल्ली। एप आधारित टैक्सी सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी उबर और ओला ने विशेष दरों पर सरकारी विभागों को सेवा उपलब्ध कराना शुरू किया है। दोनों ने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा वस्तु एवं सेवाओं की खरीद के लिये इसे पिछले महीने शुरू किया गया। इसका मकसद अनुमानित 10,000 वार्षिक की ऐसी सरकारी खरीदों में पारदर्शिता लाना है।

एक अधिकारी ने कहा कि इससे सरकार को बड़ी बचत होगी क्योंकि फिलहाल विभाग एक टैक्सी के लिए हर महीने 40,000 रुपए का भुगतान करते हैं। उसने कहा, आपस में बनी सहमति के तहत वे हमें मासिक बिल देंगे, जो उन्होंने कभी नहीं किया। दूसरा सरकार के लिए बढ़ती हुई दर से किराया (सर्ज प्राइसिंग) नहीं होगा।

सरकारी विभागों में टैक्सी सेवाओं की मांग बढ़ रही है। ये कंपनियां इसे व्यापार के अवसर के रूप में देख रही हैं और इस मौके का लाभ उठाना चाहती हैं।

अधिकारी ने कहा, प्रत्येक दिन हम कार की जरूरत होती है। अगर आप उबर ओर ओला को देखें, यह कर्म खर्चीला और बेहतर है। आपको दूरी पर नजर रख सकेंगे और बिल भी देख सकेंगे। उसने कहा कि अन्य कंपनियां भी इसका अनुकरण करेंगी और इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और हम काफी धन बचा सकते हैं। इसके लिये उबर ने सरकारी अधिकारियों के लिये अलग मोबाइल एप विकसित किया है।

  • कई कंपनियों ने सरकारी विभागों को सस्ती दरों पर सामान उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
  • फिलहाल जो वस्तुओं की सूची पोर्टल पर उपलब्ध है, उसमें कंप्यूटर, स्टेशनरी और सेवाएं शामिल हैं।
  • सरकार की अप्रैल 2017 तक इसका दायरा बढ़ाने की योजना है।
  • अनुमान के अनुसार सरकार विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के लिए हर साल 10,000 करोड़ रुपए मूल्य का सामान खरीदती है।
  • इस पोर्टल से बेहतर कीमत पर सामान प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • इससे खरीदार एवं बिक्रेताओं को लाभ होगा।
  • डीजीएस एंड डी (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सप्लाइज एंड डिस्पोजल) ने इलेक्ट्रानिक्स और आईटी के विभागों की मदद से पोर्टल का विकास किया है।

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