नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपनी तरह के पहले समझौते के तहत भारत की रणनीतिक तेल भंडार सुविधाओं में अपना कच्चा तेल रखने पर सहमत हो गया है। रणनीतिक तेल भंडार में रखे कच्चे तेल में से दो तिहाई तेल भारत को मुफ्त मिलेगा। भारत को अपनी कुल जरूरत का 79 फीसदी कच्चा तेल आयात करना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आने वाली घटबढ़ को ध्यान में रखते हुए आंध्र प्रदेश के बिशाखापत्तनम, कर्नाटक के पाडुर और मंगलोर में भूमिगत रणनीतिक तेल भंडार बनाए जा रहे हैं। इनमें 53.30 लाख टन कच्चे तेल का भंडारण किया जा सकेगा। वैश्विक उठापटक और आपात स्थिति में इन भंडारों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
एडनोक भारत में कच्चा तेल रखने को तैयार
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनोक) ने कर्नाटक की मंगलोर स्थित 15 लाख टन की भंडारण सुविधा का आधा हिस्सा लेने में रुचि दिखाई है। कंपनी मंगलोर की भंडारण सुविधा के एक हिस्से में 60 लाख बैरल (7.5 लाख टन) तेल का स्टॉक रखेगी। इसमें से पांच लाख टन तेल भारत का होगा जिसे वह आपात स्थिति में इस्तेमाल कर सकता है। एडनोक इस सुविधा का इस्तेमाल तेल व्यापार में भंडारण सुविधा के तौर पर करेगी।
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यूएई से आयात बढ़ाने पर हो रहा है विचार
भारत की यात्रा पर पहुंचे यूएई के उर्जा मंत्री सुहेल मुहम्मद अल-मजरोई के साथ बातचीत के बाद प्रधान ने कहा कि इस मामले में टैक्स संबंधी मुद्दों को समय से पहले सुलझा लिया जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले साल अगस्त में यूएई की यात्रा से दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों की नींव पड़ी। यूएई ने तब भारत में 75 अरब डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी। हमने उन्हें रिफाइनरी परियोजना, पेट्रो-रसायन योजना, पाइपलाइन और एलएनजी टर्मिनल में निवेश की पेशकश की है। भारत के कुल तेल आयात में 8 फीसदी आयात यूएई से किया जाता है। इस मात्रा को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। प्रधान ने कहा, वर्ष 2016-17 में हमने एक करोड़ 61 लाख टन की खरीद के मुकाबले 25 लाख टन तेल और खरीदने की योजना बनाई है।