नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए कॉल ड्रॉप होने पर दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, क्योंकि ये सेवा प्रदाता ग्राहकों को इसकी क्षतिपूर्ति करने को तैयार नहीं हैं। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, हमें सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जरूरत है। हमें उपभोक्ता हितों की रक्षा करनी होगी। दूरसंचार कंपनियां निवेश नहीं करना चाहतीं हैं। कंपनियां ग्राहकों को कॉल ड्राप होने पर क्षतिपूर्ति करने को तैयार नहीं है, फिर क्या किया जाना चाहिए। हमें कार्रवाई करनी होगी।
रोहतगी न्यायालय में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की तरफ से पेश हुए थे। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आर.एफ. नरीमन की पीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि ग्राहकों को कुछ तसल्ली मिलनी चाहिए। कंपनियों पर जो जुर्माना लगाया गया है वह एक तरह से कंपनियों को बेहतर सेवा के लिए तैयार होने के उपाय के तौर पर लगाई गई है। उन्होंने कहा, यह जुर्माना नहीं है, कंपनियों को बेहतर सेवा देने के लिए तैयार होने के उपाय के तौर पर है। आखिर में ग्राहक की सब कुछ है। कॉल ड्राप होने पर उसे कुछ तो सांत्वना मिलनी चाहिए। पूरे देश में कॉल ड्राप की स्थिति बनी हुई है।
पीठ ने ट्राई की तरफ से बहस पूरी होने के बाद दूरसंचार कंपनियों से उसके जवाब में अपनी बात रखने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 3 मई को तय की है। नियामक संस्था ने कल शीर्ष अदालत में कहा कि उसे देश के 100 करोड़ दूरसंचार ग्राहकों के हितों की रक्षा करनी है। यदि कंपनियां कॉल ड्रॉप की क्षतिपूर्ति के लिए बिना किसी शर्त के उतनी ही निशुल्क कॉल उपलब्ध करातीं हैं तो वह कंपनियों पर जुर्माना लगाने के अपने निर्देश पर पुनर्विचार को तैयार है। देश की 21 दूरसंचार कंपनियों की संस्था सीओएआई ने ट्राई के आदेश को सही ठहराने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। ट्राई ने इस साल जनवरी से कॉल ड्रॉप होने पर दूरसंचार कंपनियों को ग्राहकों को मुआवजा देना अनिवार्य किया है।