नई दिल्ली। दूरसंचार उपभोक्ताओं को सेवा गुणवत्ता के संबंध में राहत प्रदान करने के लिए दूरसंचार नियामक ट्राई शिकायतों के समाधान के लिए नई लोकपाल प्रणाली पेश करने के संबंध में जनता से प्रतिक्रिया लेने पर विचार कर रही है।
दूरसंचार ग्राहकों की शिकायतों के संदर्भ में मौजूदा नियमों का झुकाव सेवा प्रदाताओं के पक्ष में अधिक है, क्योंकि इनके तहत उपभोक्ताओं को अदालत में जाने की अनुमति नहीं है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) के अध्यक्ष आर एस शर्मा ने कहा, शिकायतों के निपटान की मौजूदा प्रणाली प्रभावी नहीं है। यह अच्छी स्थिति नहीं है।
शर्मा ने कहा कि नियामक ने संस्थागत व्यवस्था पर विचार करने के लिए अगले 15 दिन में एक परामर्श पत्र जारी करने की योजना बनाई है, जिसमें उपभोक्ताओं की शिकायत निपटान के लिए एक संस्थागत व्यवस्था का ढांचा अपनाए जाने की वकालत की गई है। शर्मा ने कहा, हमें इस पर विचार करने की जरूरत है कि क्या स्वचालित प्रणाली, प्रौद्योगिकी मंच का उपयोग किया जा सकता है। हमें देखना होगा कि शिकायतों को निपटाने में प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय के 2009 के फैसले में उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत इस संबंध में कोई भी राहत पर रोक लगाई गई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि इंडियन टेलीग्राफ कानून में इसका विशेष उपाय पहले से ही दिया गया है। राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 में इस संबंध में विधायी उपाय करने को कहा गया है जिसके तहत दूरसंचार उपभोक्ताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच के विवाद को उपभोक्ता मंचों के तहत लाया जा सके, लेकिन इसे अभी अमल में लाया जाना है। ऐसे में दूरसंचार क्षेत्र के ग्राहकों के समक्ष बड़ी अजीब स्थिति है। वह सीधे ट्राई से भी शिकायत नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह व्यक्तिगत शिकायतें नहीं सुनता है। यदि उन्हें प्राप्त भी करता है तो संबंधित कंपनी को भेज देता है।
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