नयी दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार लाइसेंस के हस्तांतरण और विलय के प्रावधानों में सुधार के लिये शुक्रवार को कुछ सुझाव पेश किये। ट्राई ने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की बाजार हिस्सेदारी की गणना करने के लिये ग्राहकों की संख्या तथा राजस्व दोनों पर गौर किया जाता है। वहीं लंबी दूरी की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन सेवाओं जैसी अन्य सेवाओं के मामले में बाजार हिस्सेदारी की गणना में सिर्फ राजस्व को ही ध्यान में रखा जाना चाहिये।
ट्राई ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की सहमति के बाद विभिन्न सेवा क्षेत्रों के लाइसेंस के हस्तांतरण व विलय के लिये अभी एक साल की समयसीमा स्वीकार्य है। इस समयसीमा से उस अवधि को बाहर रखा जाना चाहिये, जो किसी ऐसे मुकदमे में व्यतीत हुए हैं जिनके कारण अंतिम मंजूरी में देरी हुई हो। दूरसंचार विभाग ने लाइसेंस के हस्तांतरण एवं विलय की मंजूरियां मिलने की प्रक्रिया में तेजी लाने के बारे में ट्राई से मई 2019 में सुझाव मंगाया था। ट्राई ने इसी बाबत अपने सुझाव दिये हैं।
ट्राई ने बाजार हिस्सेदारी की गणना से लेकर मंजूरियों की समयसीमा तथा अन्य शर्तों तक पर सुझाव दिये हैं। ट्राई ने इसके साथ ही यह कहा है कि उसके इन दिशा-निर्देशों को दूरसंचार क्षेत्र की इस स्थिति को ध्यान में रखते हुये देखा जाना चाहिये कि एक दशक पहले जहां इस क्षेत्र में 12 से 14 सेवा प्रदाता मौजूद थे वहीं अब चार सेवा प्रदाता ही इसमें रह गये हें। उसने कहा कि विलय में देरी और त्वरित मंजूरी को लेकर राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति की बातों को ध्यान में रखा गया है।