नई दिल्ली। ट्रेड यूनियनें को दो सितंबर की हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में 42 फीसदी बढ़ोतरी और दो साल के बोनस की घोषणा की है। हालांकि, श्रमिक संगठन इन उपायों को पूरी तरह अपर्याप्त बताते हुए हड़ताल के अपने फैसले पर अडिग हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि अकुशल गैर-कृषि श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी मौजूदा 246 रुपए से बढ़ाकर 350 रुपए कर दी जाएगी। जेटली श्रम संबंधी मुद्दों पर गठित मंत्रियों के अनौपचारिक समूह के भी अध्यक्ष हैं।
जेटली ने कहा कि इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को 2014-15 और 2015-16 के लिए संशोधित नियमों के हिसाब से बोनस दिया जाएगा। सरकार के इस कदम से 1,920 करोड़ रुपए सालाना बोझ पड़ेगा। इसके अलावा सरकार के श्रमिक अनुकूल कदमों में बोनस भुगतान कानून में संशोधन और उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में मजदूर यूनियनों के हितों में सरकार का समर्थन देना भी शामिल है। केन्द्र सरकार ने यह भी कहा है कि वह राज्य सरकारों को इस संबंध में सलाह देगी कि श्रमिक संगठनों का पंजीकरण 45 दिन के भीतर पूरा कर दिया जाए। वहीं मजदूर संगठन सरकार से 18,000 रुपए न्यूनतम मासिक वेतन यानी 692 रुपए दैनिक और 3,000 रुपए कम से कम पेंशन की मांग कर रहे हैं। सरकार की ताजा पेशकश से वह टस से मस नहीं हुए और उन्होंने कहा है कि वह दो सितंबर की एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ेंगे।
ट्रेड यूनियनों की दो सितंबर की हड़ताल के आह्वान का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने समर्थन किया है। हड़ताल का बैंकिंग और बीमा सेवाओं, विद्युत आपूर्ति और कोयला खनन पर असर पड़ सकता है। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव गुरदास दासगुप्ता ने कहा, सरकार की न्यूनतम मजदूरी की घोषणा पूरी तरह से अपर्याप्त है। हड़ताल होगी और हमारी मांग है कि उन्हें न्यूनतम (सार्वभौमिक) मजदूरी के लिए एक कानून बनाना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा, वित्त मंत्री के वक्तव्य से स्पष्ट है कि सरकार ने हमारी 12 सूत्रीय मांग में से किसी को भी नहीं माना है। यूनियनों के पास अपने अधिकारों के लिये लड़ने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है।
जेटली से जब ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के आह्वान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब में कहा, मेरा मानना है कि हमारी ट्रेड यूनियनें जिम्मेदारी समझने वाली हैं। उधर, भारतीय मजदूर संघ ने सरकार की घोषणा का स्वागत किया है और इसे देखते हुये उसने दो सितंबर की हड़ताल से दूर रहने का फैसला किया है। बीएमएस के महासचिव विरजेस उपाध्याय ने कहा, हम इसका स्वागत करते हैं और हम न्यूनतम मजदूरी में की गई वृद्धि से संतुष्ट हैं। बीएमएस हड़ताल में शामिल नहीं होगी। स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों के विलय को लेकर यूनियनों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा, विलय ट्रेड यूनियनों का विषय नहीं है। इससे उनकी सेवा शर्तों पर कोई प्रतिकूल असर पड़ने वाला नहीं है। बीएमएस को छोड़ अन्य किसी भी ट्रेड यूनियन को अंत मंत्रालयी समूह द्वारा बातचीत के लिये नहीं बुलाए जाने के मुद्दे पर बाद में दत्तात्रेय ने कहा कि उन्होंने 18 जुलाई 2016 को सभी ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक की है।