सिंगापुर। भारत की टॉप 200 कंपनियों ने देश में बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद अपनी चीनी प्रतिद्वंदी कंपनियों को मात दी है। यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में दी गई है। यह रिपोर्ट “इंडियाज टॉप कंपनीज सेट टू गेन इवन एज चाइनाज कंटिन्यू टू फील द पेन” और “द मिसिंग पीस इन इंडियाज इकोनॉमिक ग्रोथ स्टोरी: रोबस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर” नाम से आज प्रकाशित हुई है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के आकलनकर्ता मेहुल सुक्कावाला ने कहा, बाजार पूंजीकरण के लिहाज से भारत की टॉप 200 कंपनियों का उनकी चीनी प्रतिद्वंदी कंपनियों से किए गए हमारे आकलन के मुताबिक उनके सामने यह आया है कि चीन में सूचीबद्ध कंपनियों में सरकारी प्रभाव भारत के बजाय कहीं ज्यादा है। सुक्कावाला ने कहा कि इस वजह से कंपनियों के पूंजीगत खर्च के लचीलेपन पर सीधा असर पड़ता है जिससे कमजोर लाभ और कभी कभी ज्यादा कर्ज के रूप में यह दिखाई देता है।
भारत और चीन के बीच निजी क्षेत्र का अंतर महत्वपूर्ण है। निजी कंपनियां शुद्ध ऋण में करीब 75 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं। वहीं भारत की 200 शीर्ष कंपनियों का कर पूर्व लाभ चीन की टॉप कंपनियों की तुलना में 20 फीसदी से कम है। भारतीय निजी कंपनियों ने भारत की सरकारी कंपनियों और चीन की कंपनियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। एसएंडपी को अगले दो से तीन सालों में भारत की टॉप कंपनियों के और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। लेकिन भारत में परिचालन की स्थितियों में बेहतरी उसके बुनियादी ढांचे पर निर्भर करेगी जो अभी भी अपर्याप्त बनी हुई है।