नई दिल्ली। रसोई गैस एलपीजी के बाद अब सरकार ने राशन की दुकानों से सब्सिडी वाला सस्ता अनाज की आपूर्ति पर आधार अनिवार्य कर दिया है। इसका मकसद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.4 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है।
जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है उन्हें इसका आवेदन करने को 30 जून तक का समय दिया गया है। हालांकि, सरकार ने यह नहीं कहा है कि 30 जून के बाद आधार के बिना सब्सिडी वाला खाद्यान्न नहीं दिया जाएगा।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को पिछले साल नवंबर में देशभर में लागू किया गया था।
- इसके तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति व्यक्ति एक से तीन रुपए प्रति किलो की दर पर पांच किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जाता है।
- उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना 8 फरवरी 2017 को जारी कर दी है।
- इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न के लिए आधार कार्ड को आवश्यक बना दिया गया है।
- सरकार ने राज्यों से कहा कि वे आधार कार्ड को राशन कार्डों के साथ सम्बद्ध करें।
- केंद्र ने यह भी कहा कि राज्यों ने जून तक राशन की दुकानों में डिजिटल भुगतान प्रणाली को स्थापित करने का वादा किया है।
- खाद्य कानून के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को पांच किलोग्राम गेहूं अथवा चावल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह दो से तीन रुपए प्रति किग्रा की दर से मिलता है।
- इससे राजकोष पर 1.4 लाख करोड़ रुपए वार्षिक का बोझ आता है।
- वर्तमान में करीब 5.27 लाख राशन की दुकानों में से करीब 29,000 उचित मूल्य दुकानों पर नकदी रहित लेनदेन की सुविधा है।
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, तमिल नाडू, दिल्ली और महाराष्ट्र राज्यों ने अपनी राशन दुकानों पर मार्च तक डिजिटल भुगतान प्रणाली शुरू करने का वादा किया है।
- ज्यादातर राज्यों में जून तक डिजिटल भुगतान प्रणाली शुरू हो जाएगी।
- बिहार और उत्तराखंड ने जुलाई तक नकदीरहित प्रणाली स्थापित करने का वादा किया है, जबकि अंडमान और नीकोबार और जम्मू कश्मीर ने वर्ष के अंत तक ऐसा करने का वादा किया है।
- नोटबंदी की आलोचना करने वाला पश्चिम बंगाल भी जून तक नकदीरहित व्यवस्था बहाल करने को सहमत हुआ है।